Saturday, November 15, 2025

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जंगल की नई जंग: बाघों के आगे झुकते तेंदुए, आबादी में बढ़ा खतरा — जिम कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में वन्यजीवों के बीच संघर्ष तेज

रामनगर।
उत्तराखंड के जंगलों में अब एक नई जंग छिड़ी हुई है — बाघों और तेंदुओं के बीच अस्तित्व की लड़ाई। जिम कॉर्बेट टाइगर रिजर्व (CTR) और उससे सटे तराई पश्चिमी वन प्रभाग में तेजी से बढ़ती बाघों की संख्या ने तेंदुओं के लिए खतरे की घंटी बजा दी है। जंगलों में बाघों का वर्चस्व लगातार बढ़ रहा है, जिससे तेंदुए अपने ही घर यानी जंगल के सीमावर्ती इलाकों से खदेड़े जा रहे हैं। परिणामस्वरूप अब ये बड़े बिल्ली प्रजाति के जानवर मानव आबादी के नजदीक पहुंचकर संघर्ष की नई स्थिति पैदा कर रहे हैं।
बाघों के दबदबे में सिकुड़ रहा तेंदुओं का इलाका
वन्यजीव विशेषज्ञों का कहना है कि बाघों की संख्या में वृद्धि से जंगल में शिकार और क्षेत्रीय प्रभुत्व (टेरिटरी) की जंग तेज हो गई है।
जिम कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के साथ लगे तराई पश्चिमी वन प्रभाग में वर्तमान में 57 बाघों की मौजूदगी दर्ज की गई है।
बाघ अब उन क्षेत्रों तक पहुंच गए हैं जहां पहले तेंदुए का दबदबा था।
ऐसे में बाघों द्वारा तेंदुओं को जंगल से खदेड़ा जा रहा है, जिससे वे जंगल छोड़कर गांवों, खेतों और आबादी वाले इलाकों की ओर रुख कर रहे हैं।
मानव-वन्यजीव संघर्ष में वृद्धि
जंगल से खदेड़े जाने के बाद तेंदुए अब आबादी में पालतू पशुओं और कुत्तों को शिकार बना रहे हैं।
स्थानीय लोगों के मुताबिक, बीते कुछ महीनों से देवीपुरा, बसई और टांडा जैसे इलाकों में तेंदुओं की सक्रियता बढ़ी है।
ग्रामीणों में दहशत का माहौल है, जबकि वन विभाग को तेंदुए पकड़ने की लगातार शिकायतें मिल रही हैं।
ग्रामीणों की आपबीती:
• “मेरा घर पीरूमदारा के पास देवीपुरा में है। पिछले सप्ताह देर रात तेंदुआ घर के बाहर से कुत्ते को उठा ले गया। वन विभाग को इसकी सूचना दी है।” — सुनील गोसाई, देवीपुरा
• “टांडा क्षेत्र में कई महीनों से तेंदुए का आतंक है। कुछ दिन पहले बसई स्थित मेरे घर से तेंदुआ कुत्ते को उठा ले गया।” — देवानंद जोशी, बसई, पीरूमदारा
वन विभाग ने लगाए कैमरा ट्रैप
ग्रामीणों की शिकायतों और लगातार बढ़ती घटनाओं के बाद तराई पश्चिमी वन प्रभाग के आमपोखरा रेंज क्षेत्र में कई स्थानों पर कैमरा ट्रैप लगाए गए हैं ताकि तेंदुओं की गतिविधियों पर नजर रखी जा सके।
वन विभाग का कहना है कि तेंदुओं को पकड़ने की प्रक्रिया केवल तभी अपनाई जाएगी जब वे मानव जीवन के लिए सीधा खतरा बनें।
विशेषज्ञों की चेतावनी
वन्यजीव विशेषज्ञों का मानना है कि यह स्थिति पारिस्थितिक असंतुलन की ओर संकेत करती है।
जंगलों में बढ़ते बाघों की संख्या जहां संरक्षण की सफलता दर्शाती है, वहीं तेंदुओं का विस्थापन मानव-वन्यजीव संघर्ष को और गहरा कर रहा है।
विशेषज्ञों के अनुसार, “बाघों और तेंदुओं दोनों के लिए पर्याप्त आवास और शिकार की उपलब्धता सुनिश्चित किए बिना संघर्ष बढ़ता ही जाएगा।”
निष्कर्ष
जंगलों के भीतर की यह “नई जंग” अब शहरी और ग्रामीण सीमाओं तक पहुंच गई है।
बाघों के बढ़ते कुनबे ने जहां तेंदुओं के लिए जंगलों में जगह कम कर दी है, वहीं तेंदुओं की आमद ने मानव सुरक्षा और पारिस्थितिक संतुलन दोनों के लिए चुनौती खड़ी कर दी है।
अब वन विभाग और वन्यजीव विशेषज्ञों के सामने सबसे बड़ी जिम्मेदारी यह है कि इस संघर्ष को थामने के उपाय जल्द से जल्द किए जाएं, ताकि जंगल का संतुलन और इंसानों की सुरक्षा — दोनों कायम रह सकें।

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