देहरादून: लोक आस्था के महापर्व छठ की शुरूआत शनिवार को नहाय-खाय के साथ होगी। इसी के साथ व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला तप भी शुरू हो जाएगा। सूर्य उपासना का यह अनूठा पर्व जैसे-जैसे करीब आ रहा है, दून पूरी तरह छठमय हो उठा है। बाजार से लेकर घाटों तक रौनक और तैयारी चरम पर है।
शुक्रवार को पूरे शहर में खरीदारी का जोर रहा। झंडा बाजार, निरंजनपुर, सहारनपुर चौक और आसपास की दुकानों पर बांस की टोकरी, सूप, फल, गन्ना और अन्य पूजन सामग्री लेने वालों की भीड़ उमड़ पड़ी। दूसरी ओर, चंद्रबनी, टपकेश्वर, रायपुर, मालदेवता, प्रेमनगर समेत 23 से अधिक घाटों पर सजावट और सुरक्षा व्यवस्था को अंतिम रूप दिया जा रहा है।
छठ पर्व की शुरुआत नहाय-खाय के पावन विधान से होती है। व्रती स्नान कर शुद्ध भोजन ग्रहण करते हैं। इसी दिन से प्रसाद बनाने की तैयारी भी आरंभ हो जाती है। प्रसाद हेतु अलग चूल्हा और बर्तन उपयोग किए जाते हैं। साथ ही व्रती और परिवार के सदस्य प्याज, लहसुन आदि का सेवन नहीं करते। नहाय-खाय के बाद ही निर्जला उपवास का कठोर अनुष्ठान शुरू हो जाता है, जो छठ की गंभीरता और तपस्या का संदेश देता है।
छठ के मद्देनजर बिहारी महासभा ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को पत्र लिखकर 27 और 28 अक्टूबर को सार्वजनिक अवकाश घोषित करने की मांग की है। महासभा के अध्यक्ष ललन सिंह और सचिव चंदन झा ने कहा कि छठ पूजा कई राज्यों में राजकीय अवकाश के रूप में मान्य है। ऐसे में उत्तराखंड में भी दो दिन का अवकाश छठ व्रतियों के लिए बड़ी राहत साबित होगा।
छठ पूजा के चारों दिन आस्था और अनुशासन के रंग शहर में बिखरेंगे। समय सारणी इस प्रकार है:
• 25 अक्टूबर: नहाय खाय
• 26 अक्टूबर: खरना
• 27 अक्टूबर: संध्या अर्घ्य (अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य)
• 28 अक्टूबर: ऊषा अर्घ्य (उदीयमान सूर्य को अर्घ्य), व्रत संपन्न
दून प्रशासन के मुताबिक सभी घाटों पर सुरक्षा, प्रकाश व्यवस्था, सफाई और स्वास्थ्य सुविधाओं के पुख्ता इंतजाम किए जा रहे हैं। श्रद्धालु सूर्यदेव की आराधना में डूबकर सुख, समृद्धि और परिवार के मंगल की कामना करेंगे।


