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चतुर्थ केदार भगवान रुद्रनाथ के कपाट छह माह के लिए बंद

गोपेश्वर। भगवान शिव के पंचकेदारों में से एक चतुर्थ केदार रुद्रनाथ धाम के कपाट शुक्रवार को विधि-विधान के साथ शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए। सुबह से ही मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। लगभग 500 श्रद्धालुओं की उपस्थिति में पूजन-अर्चन के बाद भगवान रुद्रनाथ की डोली गोपेश्वर के लिए प्रस्थान कर गई।
रुद्रनाथ के पुजारी सुनील तिवारी ने बताया कि कपाट बंद करने की प्रक्रिया सुबह चार बजे पूजा-अर्चना के साथ शुरू हुई। सभी वैदिक विधियों के संपन्न होने के बाद सुबह छह बजे कपाट शीतकाल के लिए बंद किए गए। इसके पश्चात साढ़े सात बजे भगवान रुद्रनाथ की डोली भक्तों के जयकारों के बीच धाम से प्रस्थान कर गई।
धार्मिक परंपरा के अनुसार यात्रा मार्ग
डोली पारंपरिक मार्ग से होते हुए पंचगंगा, पितृधार, पनार गुग्याल और मोली बुग्याल पहुंचेगी। मोली बुग्याल में भगवान को राजभोग (नए अनाजों का भोग) लगाया जाएगा। इसके बाद डोली सगर गांव पहुंचेगी, जहां एक बार फिर नए अनाज का भोग अर्पित किया जाएगा। सूर्यास्त से पूर्व डोली गोपेश्वर स्थित गोपीनाथ मंदिर परिसर पहुंचेगी, जहां अगले छह माह तक भगवान रुद्रनाथ की पूजा-अर्चना होगी।
पुष्पों से सजे भगवान, कपाट खुलने पर मिलेगा प्रसाद
कपाट बंद करते समय पारंपरिक रीति के अनुसार भगवान रुद्रनाथ को मंदार (बुखला) के 251 पुष्प गुच्छों से ढका गया। कपाट दोबारा खुलने पर इन पुष्पों को भक्तों में प्रसाद के रूप में वितरित किया जाएगा।
कपाट बंद होने के अवसर पर क्षेत्र में भक्तिमय वातावरण बना रहा। श्रद्धालुओं ने भजन-कीर्तन के साथ भगवान रुद्रनाथ की डोली को विदा किया। अब छह माह तक भक्त गोपीनाथ मंदिर में रुद्रनाथ के दर्शन कर सकेंगे।
रुद्रनाथ धाम समुद्रतल से 11,800 फीट की ऊंचाई पर स्थित है और इसे चतुर्थ केदार के रूप में पूजा जाता है। कपाट बंद होने के साथ ही उच्च हिमालयी क्षेत्रों में स्थित चारों केदार धामों की शीतकालीन पूजा व्यवस्थाएं अब निचले इलाकों में आरंभ हो गई हैं।

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