वॉशिंगटन। अमेरिका ने संकेत दिए हैं कि वह रूस के हवाई क्षेत्र से होकर उड़ान भरने वाली चीनी एयरलाइंस पर प्रतिबंध लगाने पर विचार कर सकता है। यह कदम ऐसे समय में उठाया जा रहा है जब चीन ने रूस के हवाई क्षेत्र का उपयोग कर अपनी वाणिज्यिक उड़ानों को बढ़ाया है, जिससे अमेरिका की नजर में यह सुरक्षा और भू-राजनीतिक दृष्टिकोण से चुनौतीपूर्ण स्थिति बन गई है।
अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि रूस और पश्चिमी देशों के बीच तनाव के बीच चीन का यह कदम ड्रैगन देश के आर्थिक और रणनीतिक लाभ में इजाफा कर रहा है। अमेरिकी सूत्रों ने कहा कि रूस और चीन के बीच बढ़ती वाणिज्यिक उड़ानों से अमेरिका और उसके सहयोगियों के हित प्रभावित हो सकते हैं। अमेरिका का तर्क है कि चीन के इस लाभ से यूरोप और अमेरिका के एयरलाइन उद्योग को प्रत्यक्ष प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ सकता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि रूस और चीन के बीच वाणिज्यिक और यात्री उड़ानों का विस्तार अमेरिका के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता है। इससे न केवल अमेरिकी एयरलाइंस की मार्ग सुरक्षा प्रभावित होगी, बल्कि एशिया-यूरोप वायु मार्गों में अमेरिकी कंपनियों का हिस्सा घट सकता है।
अमेरिका ने चीन को चेतावनी दी है कि यदि वह रूस के हवाई क्षेत्र का लगातार उपयोग करता रहा, तो विभिन्न पाबंदियों और एयरलाइंस संचालन संबंधी प्रतिबंधों के विकल्पों पर विचार किया जाएगा। सूत्रों के अनुसार, इसमें विशेष परमिट रद्द करना, उड़ानों की अनुमति में रोक और बीमा संबंधी नियमों को कठोर बनाना शामिल हो सकता है।
इस बीच, चीन ने फिलहाल किसी भी तरह की प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन विदेश मंत्रालय ने संकेत दिया है कि वह सुरक्षा मानकों और अंतरराष्ट्रीय नियमों का पालन करता रहेगा और अपनी एयरलाइंस के हितों की रक्षा करेगा।
विश्लेषकों का कहना है कि यह मामला अंतरराष्ट्रीय हवाई मार्गों, रणनीतिक हितों और व्यापारिक प्रतिस्पर्धा का जटिल मिश्रण है। यदि अमेरिका ने प्रतिबंध लगाया, तो इसके वैश्विक वाणिज्यिक उड़ानों और चीन-यूरोप मार्गों पर असर पड़ने की संभावना है।
इस मुद्दे पर अमेरिकी एयरलाइन उद्योग और नीति निर्माताओं की निगाहें लगातार बनी हुई हैं, और किसी भी फैसले के बाद वैश्विक वायु परिवहन पर बड़ा प्रभाव पड़ सकता है।


