अमेरिका में जारी आंशिक सरकारी शटडाउन का असर अब राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े संस्थानों तक गहराने लगा है। बजटीय गतिरोध के चलते नेशनल न्यूक्लियर सिक्योरिटी एडमिनिस्ट्रेशन (NNSA) ने अपने 1,400 से अधिक कर्मचारियों को अनिवार्य छुट्टी पर भेज दिया है। इस कदम से परमाणु सुरक्षा और ऊर्जा कार्यक्रमों की निगरानी प्रभावित होने की आशंका बढ़ गई है।
अमेरिकी कांग्रेस में संघीय बजट पर सहमति नहीं बन पाने के कारण सरकार का कुछ हिस्सा कई दिनों से बंद है। वित्तीय वर्ष 2025 का बजट पारित न होने के चलते रक्षा, ऊर्जा और अनुसंधान से जुड़े कई विभागों की गतिविधियां बाधित हैं। अब इसका सीधा असर NNSA जैसे महत्वपूर्ण संस्थान पर पड़ा है, जो देश के परमाणु हथियारों की सुरक्षा, रखरखाव और निगरानी का जिम्मा संभालता है।
NNSA के अधिकारियों के अनुसार, बजट न मिलने के कारण कई महत्वपूर्ण परियोजनाएं रोक दी गई हैं। इनमें परमाणु सामग्री के आधुनिकीकरण, सुरक्षा प्रणाली उन्नयन और परमाणु अपशिष्ट प्रबंधन से जुड़ी योजनाएं शामिल हैं। एजेंसी के प्रवक्ता ने बताया कि केवल अत्यावश्यक और सुरक्षा संबंधी कार्यों में लगे कर्मचारियों को फिलहाल ड्यूटी पर रखा गया है, जबकि अन्य को “फरलो” यानी अनिवार्य अवकाश पर भेजा गया है।
राष्ट्रीय सुरक्षा विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि यदि शटडाउन लंबा चला तो यह अमेरिका की परमाणु सुरक्षा तैयारी पर असर डाल सकता है। कई विश्लेषकों का कहना है कि उच्च स्तरीय निगरानी और उपकरण रखरखाव के कार्य प्रभावित होने से सुरक्षा जोखिम बढ़ सकते हैं। एक पूर्व अधिकारी ने कहा, “यह केवल प्रशासनिक मुद्दा नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा का सवाल है। हर दिन देरी से जोखिम बढ़ रहा है।”
शटडाउन की स्थिति तब पैदा हुई जब डेमोक्रेट और रिपब्लिकन सांसद संघीय खर्च और आप्रवासन नीति को लेकर एकमत नहीं हो सके। व्हाइट हाउस ने रिपब्लिकन पार्टी पर “राजनीतिक अड़ियलपन” का आरोप लगाया है, जबकि रिपब्लिकन नेताओं का कहना है कि बाइडन प्रशासन अनावश्यक खर्चों पर नियंत्रण नहीं कर रहा।
NNSA के अलावा अन्य एजेंसियों में भी हजारों कर्मचारियों को अस्थायी रूप से घर बैठा दिया गया है। कई सरकारी कार्यालयों में कार्य रुक गया है, जबकि कुछ विभाग सीमित संसाधनों के साथ जरूरी सेवाएं चला रहे हैं।
इस शटडाउन का असर रक्षा अनुसंधान, सार्वजनिक सुरक्षा, पर्यावरण संरक्षण और अंतरिक्ष कार्यक्रमों पर भी दिखने लगा है। अर्थशास्त्रियों का अनुमान है कि अगर यह स्थिति और लंबी चली, तो अमेरिकी अर्थव्यवस्था को अरबों डॉलर का नुकसान हो सकता है।
वॉशिंगटन में चल रही वार्ताओं से अब तक कोई ठोस परिणाम नहीं निकला है। व्हाइट हाउस ने उम्मीद जताई है कि अगले कुछ दिनों में कांग्रेस किसी समझौते पर पहुंचेगी, ताकि सरकारी कार्य जल्द बहाल हो सकें।





