नई दिल्ली।
उत्तर भारत के कई राज्य इन दिनों प्राकृतिक आपदा की चपेट में हैं। लगातार हो रही भारी बारिश और बादल फटने जैसी घटनाओं ने हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब और जम्मू-कश्मीर को सबसे ज्यादा प्रभावित किया है। इन राज्यों में जगह-जगह भूस्खलन, बाढ़ और मकानों के क्षतिग्रस्त होने की खबरें सामने आ रही हैं।
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने हालात की गंभीरता को देखते हुए विशेष टीमें गठित की हैं, जो प्रभावित राज्यों में जाकर नुकसान का आकलन करेंगी। यह टीमें स्थानीय प्रशासन और राज्य सरकारों के साथ मिलकर राहत-बचाव की स्थिति की निगरानी करेंगी और केंद्र को रिपोर्ट सौंपेंगी।
हिमाचल और उत्तराखंड में भूस्खलन से कई सड़कें बंद हो गई हैं, जिससे यातायात ठप है और ग्रामीण क्षेत्रों का संपर्क कट गया है। वहीं पंजाब के निचले इलाकों और जम्मू-कश्मीर के कई हिस्सों में नदियों का जलस्तर खतरे के निशान के पार पहुंच गया है। खेत-खलिहानों में पानी भरने से फसलों को भी भारी नुकसान हुआ है।
प्रशासन ने प्रभावित इलाकों में राहत एवं बचाव कार्य तेज कर दिए हैं। एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें तैनात की गई हैं। कई जगहों पर हेलिकॉप्टर की मदद से लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है। वहीं सरकार ने अस्थायी शिविरों में रहने, भोजन और स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने की व्यवस्था की है।
केंद्रीय गृह मंत्री ने राज्यों के मुख्यमंत्रियों से बातचीत कर हालात की जानकारी ली है और केंद्र की ओर से हरसंभव मदद का आश्वासन दिया है। अधिकारियों का कहना है कि टीमें जल्द ही प्रारंभिक रिपोर्ट पेश करेंगी, जिसके आधार पर मुआवजा और पुनर्वास पैकेज तैयार किया जाएगा।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस बार मानसून का असामान्य स्वरूप और जलवायु परिवर्तन की वजह से पहाड़ी राज्यों को सबसे ज्यादा नुकसान झेलना पड़ रहा है।