देहरादून। उत्तराखंड में धार्मिक एवं आध्यात्मिक पर्यटन को आर्थिक विकास से जोड़ने की दिशा में राज्य सरकार ने एक और महत्वपूर्ण कदम आगे बढ़ाया है। मुख्यमंत्री ने बुधवार को सचिवालय में उच्च स्तरीय बैठक की, जिसमें स्प्रिचुअल इकोनॉमिक ज़ोन (SEZ) की स्थापना को लेकर व्यापक चर्चा की गई। मुख्यमंत्री ने संबंधित विभागों को इस परियोजना के लिए विस्तृत रोडमैप शीघ्र तैयार करने के निर्देश दिए।
बैठक में बताया गया कि उत्तराखंड को देवभूमि के रूप में विश्वभर में पहचान मिली हुई है और हर वर्ष लाखों श्रद्धालु चारधाम सहित अनेक धार्मिक स्थलों पर पहुंचते हैं। ऐसे में धार्मिक पर्यटन को व्यवस्थित रूप से विकसित कर रोजगार, निवेश और स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने का बड़ा अवसर मौजूद है। स्प्रिचुअल इकोनॉमिक ज़ोन का उद्देश्य धार्मिक गतिविधियों, योग-आध्यात्मिक केंद्रों, वेलनेस उद्योग, पारंपरिक कला और संस्कृति को प्रोत्साहित करते हुए एकीकृत आर्थिक ढांचा निर्मित करना है।
मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया कि परियोजना के अंतर्गत प्रस्तावित क्षेत्रों में अवसंरचना विकास, परिवहन सुविधाओं में सुधार, तीर्थ-पर्यटन केंद्रों का स्वरूप निखारने और निवेश आकर्षित करने पर जोर दिया जाए। साथ ही स्थानीय लोगों की भागीदारी सुनिश्चित करते हुए उन्हें स्वरोजगार के अवसर प्रदान किए जाएं। उन्होंने कहा कि परियोजना इस तरह से तैयार की जाए कि धार्मिक आस्था का सम्मान करते हुए पर्यावरण संरक्षण को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाए।
बैठक में अधिकारियों ने विभिन्न संभावित स्थानों का प्रस्तुतीकरण भी दिया, जहां इस परियोजना के तहत कॉरिडोर, तीर्थ टाउनशिप, स्प्रिचुअल वेलनेस सेंटर और सांस्कृतिक कॉम्प्लेक्स विकसित किए जा सकते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह योजना उत्तराखंड के भविष्य के आर्थिक मॉडल में महत्वपूर्ण स्तंभ साबित होगी और इसे समयबद्ध तरीके से आगे बढ़ाया जाएगा।
उन्होंने विभागीय प्रमुखों को यह भी निर्देश दिए कि निवेशकों और धार्मिक संगठनों से संवाद स्थापित कर उनकी सुझावों को भी रोडमैप में शामिल किया जाए। शीघ्र ही परियोजना का प्रारूप (डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट) तैयार कर कैबिनेट के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा।
गौरतलब है कि राज्य सरकार हाल के वर्षों में चारधाम यात्रा सुधार, होमस्टे नीति और धर्म-पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए अनेक कदम उठा चुकी है। स्प्रिचुअल इकोनॉमिक ज़ोन की स्थापना इन पहलों को एक नए स्तर पर ले जाने की दिशा में मील का पत्थर मानी जा रही है।





