सोशल मीडिया के बढ़ते उपयोग के साथ साइबर ठगी के नए-नए तरीक़े सामने आ रहे हैं। हाल के दिनों में हनीट्रैप के ज़रिए ऑनलाइन ठगी के मामलों में तेज़ी से इज़ाफ़ा देखा गया है, जिनमें साइबर अपराधी युवतियों को मोहरा बनाकर लोगों को जाल में फँसा रहे हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक, हल्की-फुल्की ऑनलाइन बातचीत और दिल्लगी कई बार बेहद भारी पड़ सकती है।
पुलिस और साइबर सुरक्षा एजेंसियों ने बताया कि ठग सबसे पहले फर्जी सोशल मीडिया प्रोफाइल बनाते हैं, जिनमें आकर्षक तस्वीरें और नकली पहचान का इस्तेमाल किया जाता है। इन प्रोफाइलों से पुरुषों को फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजी जाती है और बातचीत की शुरुआत की जाती है। कुछ ही दिनों में यह चैट व्यक्तिगत होती चली जाती है और युवती के रूप में बात करने वाला ठग भावनात्मक लगाव का दिखावा करने लगता है।
इसके बाद साइबर गिरोह का असली खेल शुरू होता है। बातचीत आगे बढ़ने पर युवती वीडियो कॉल करने का सुझाव देती है और कॉल जुड़ते ही दूसरी ओर से फर्जी या पूर्व-रिकॉर्डेड अश्लील वीडियो चलाकर व्यक्ति को फंसाया जाता है। इस दौरान ठग स्क्रीन रिकॉर्ड करते हैं और फिर पीड़ित को ब्लैकमेल करते हुए मोटी रकम की मांग शुरू कर देते हैं। रुपये न देने पर वीडियो वायरल करने, परिवार को भेजने या सोशल मीडिया पर अपलोड करने की धमकी दी जाती है।
कई मामलों में पीड़ित शर्मिंदगी और सामाजिक बदनामी के डर से ठगों को बड़ी रकम तक दे देते हैं, जिससे उनका हौसला और बढ़ता है। साइबर विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे गिरोह संगठित तरीके से काम करते हैं और इनमें युवतियों की भूमिका केवल शुरुआती बातचीत तक सीमित होती है, जबकि बाकी संचालन पेशेवर ठग करते हैं।
पुलिस ने लोगों को चेतावनी दी है कि किसी भी अजनबी प्रोफाइल से आई फ्रेंड रिक्वेस्ट स्वीकार न करें और वीडियो कॉल का आग्रह करने वाले खातों से तुरंत दूरी बनाए रखें। यदि किसी तरह की ब्लैकमेलिंग का शिकार हों, तो घबराने के बजाय तुरंत साइबर हेल्पलाइन या नज़दीकी थाने में शिकायत दर्ज कराएं। अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि ऐसे मामलों में पीड़ित की पहचान गोपनीय रखी जाती है और कानूनी कार्रवाई के लिए विशेष टीमें नियुक्त हैं।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर बढ़ती इस ठगी से साइबर सुरक्षा एजेंसियों ने भी लोगों से सावधान रहने और जागरूकता बढ़ाने की अपील की है, ताकि कोई अनजाने में ठगों के जाल में न फँसे और ऐसे अपराधों पर काबू पाया जा सके।





