लद्दाख के सामाजिक कार्यकर्ता और शिक्षा सुधारक सोनम वांगचुक की हिरासत को चुनौती देने वाली याचिका पर सोमवार को अदालत में सुनवाई होगी। यह याचिका उनकी पत्नी द्वारा दायर की गई है, जिसमें हिरासत की वैधता पर सवाल उठाते हुए इसे तुरंत रद्द करने की मांग की गई है। याचिका में दावा किया गया है कि वांगचुक को मनमाने ढंग से गिरफ्तार किया गया है और उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन किया गया है।
परिवार का कहना है कि वांगचुक को जिस तरह से हिरासत में लिया गया, वह न केवल न्यायिक प्रक्रिया के मानकों के विपरीत है, बल्कि उनकी सामाजिक और शांतिपूर्ण गतिविधियों को बिना कारण बाधित करता है। पत्नी ने कोर्ट से अनुरोध किया है कि मामले की गंभीरता को देखते हुए इसे प्राथमिकता के आधार पर सुना जाए, ताकि उनकी सुरक्षा और स्वतंत्रता सुनिश्चित की जा सके। याचिका में यह भी उल्लेख किया गया है कि वांगचुक की गतिविधियाँ हमेशा शांतिपूर्ण रही हैं और वे केवल पर्यावरण संरक्षण, जन-जागरण और स्थानीय मुद्दों को उठाते रहे हैं।
अदालत में होने वाली सुनवाई को लेकर समर्थकों और नागरिक संगठनों की भी नजरें टिकी हुई हैं। वांगचुक के समर्थकों का कहना है कि उनकी गिरफ्तारी से लोकतांत्रिक अधिकारों पर सवाल खड़े होते हैं और यह आवाज उठाने वाले व्यक्तियों को दबाने का प्रयास प्रतीत होता है। वहीं, कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि सोमवार की सुनवाई इस मामले की दिशा तय करने में अहम भूमिका निभाएगी।
अब सबकी निगाहें अदालत के फैसले पर हैं, जो यह स्पष्ट करेगा कि वांगचुक की गिरफ्तारी कानून के दायरे में हुई है या नहीं। परिवार और समर्थकों को उम्मीद है कि न्यायालय उन्हें जल्द राहत प्रदान करेगा।





