उत्तराखंड में संस्कृत भाषा को नई दिशा और संरक्षित पहचान देने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने एक महत्वपूर्ण घोषणा की है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार संस्कृत के उत्थान, संरक्षण और विकास के लिए एक उच्चस्तरीय आयोग गठित करेगी। यह आयोग न सिर्फ भाषा के शैक्षणिक प्रसार पर काम करेगा, बल्कि इसके व्यावहारिक उपयोग और जनसामान्य में पुनर्प्रचार के लिए ठोस रणनीतियाँ भी तैयार करेगा।
मुख्यमंत्री धामी ने स्पष्ट किया कि संस्कृत भारत की प्राचीन ज्ञान-परंपरा का आधार है और इसके संवर्धन के बिना भारतीय संस्कृति की व्यापक समझ अधूरी है। उन्होंने कहा कि आयोग में भाषाविदों, शिक्षाविदों, शोधकर्ताओं और संस्कृत अध्ययन से जुड़े विशेषज्ञों को शामिल किया जाएगा, ताकि भाषा के संरक्षण और प्रसार के लिए वैज्ञानिक और प्रभावी तरीके अपनाए जा सकें। आयोग शिक्षा विभाग, संस्कृत विश्वविद्यालयों और विभिन्न शोध संस्थानों के साथ समन्वय स्थापित करता हुआ व्यापक नीति तैयार करेगा।
सरकार की योजना है कि यह आयोग विद्यालय स्तर पर संस्कृत शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने से लेकर उच्च शिक्षा में शोध कार्य को प्रोत्साहन देने तक कई महत्वपूर्ण पहल शुरू करे। इसके अलावा, भाषा के डिजिटलीकरण, आधुनिक तकनीक के माध्यम से संस्कृत साहित्य की उपलब्धता बढ़ाने और युवाओं में भाषा के प्रति रुचि विकसित करने जैसे बिंदुओं को भी प्राथमिकता दी जाएगी।
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि उत्तराखंड, देवभूमि होने के नाते, प्राचीन संस्कृति और शास्त्रों का संरक्षक माना जाता है। ऐसे में संस्कृत के उत्थान के लिए यह कदम राज्य को नई पहचान देगा और आने वाली पीढ़ियों को अपनी जड़ों से जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। उन्होंने आशा व्यक्त की कि उच्चस्तरीय आयोग की स्थापना से संस्कृत भाषा के समृद्ध भविष्य का मार्ग प्रशस्त होगा।





