नई दिल्ली। वरिष्ठ भाजपा नेता और तमिलनाडु के कद्दावर राजनेता सी.पी. राधाकृष्णन ने सोमवार को देश के 15वें उपराष्ट्रपति के रूप में शपथ ली। राष्ट्रपति भवन में आयोजित समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। उनके उपराष्ट्रपति बनने के साथ ही अब वे राज्यसभा के सभापति भी होंगे।
उपराष्ट्रपति का वेतन और सुविधाएं
भारत के उपराष्ट्रपति का पद भले ही औपचारिक प्रतीत होता हो, लेकिन इसकी संवैधानिक हैसियत और सुविधाएं बेहद अहम हैं।
- उपराष्ट्रपति को हर महीने 4 लाख रुपये का वेतन मिलता है।
- उन्हें कैबिनेट मंत्री के बराबर भत्ते और अन्य भौतिक सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती हैं।
- उपराष्ट्रपति को दिल्ली में एक आधिकारिक आवास, स्टाफ, सुरक्षा, और विदेश यात्राओं के दौरान विशेष सुविधाएं दी जाती हैं।
उपराष्ट्रपति की संवैधानिक शक्तियां
भारत के संविधान के तहत उपराष्ट्रपति का पद दूसरा सर्वोच्च संवैधानिक पद है।
- वे राज्यसभा के अध्यक्ष (सभापति) होते हैं और सदन की कार्यवाही का संचालन करते हैं।
- राष्ट्रपति की अनुपस्थिति या विदेश दौरे पर रहने की स्थिति में उपराष्ट्रपति कार्यवाहक राष्ट्रपति की भूमिका निभाते हैं।
- यदि राष्ट्रपति का पद किसी कारणवश रिक्त हो जाए, तो नए राष्ट्रपति के चुनाव तक उपराष्ट्रपति ही राष्ट्रपति का कार्यभार संभालते हैं।
राजनीतिक सफर
सी.पी. राधाकृष्णन लंबे समय से भाजपा की राजनीति से जुड़े रहे हैं। वे दो बार लोकसभा सांसद रह चुके हैं और पार्टी संगठन में भी महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभा चुके हैं। उनकी छवि एक साफ-सुथरे और मिलनसार राजनेता की रही है।
जनता की उम्मीदें
राधाकृष्णन के उपराष्ट्रपति बनने पर उनके समर्थकों और पार्टी कार्यकर्ताओं में उत्साह है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि संसद की कार्यवाही को बेहतर तरीके से संचालित करने और संसदीय लोकतंत्र को मजबूत बनाने में उनकी भूमिका अहम होगी।