मोदी सरकार ने सिंधु जल समझौते को स्थगित करने के निर्णय को लेकर उत्तर भारत के किसानों के बीच नया राजनीतिक अभियान शुरू करने की तैयारी कर ली है। इसका उद्देश्य कांग्रेस को कटघरे में खड़ा करना और किसानों को यह समझाना है कि अब उन्हें उनका जल अधिकार मिलने वाला है।
किन राज्यों को केंद्र में रखकर हो रही रणनीति:
• जम्मू-कश्मीर
• पंजाब
• हिमाचल प्रदेश
• हरियाणा
• राजस्थान
इन राज्यों में भाजपा तीन वरिष्ठ नेताओं — शिवराज सिंह चौहान, भूपेंद्र यादव और सीआर पाटिल — के नेतृत्व में ‘किसान संवाद’ और जागरूकता अभियान चलाएगी।
अभियान के प्रमुख बिंदु:
1. सिंधु समझौते के स्थगन का लाभ:
o किसानों को बताया जाएगा कि इस फैसले से अब सिंधु, चेनाब और रावी जैसी नदियों का पानी भारत के किसानों के लिए उपलब्ध होगा।
o अब तक पाकिस्तान को जा रहे पानी का कृषि और सिंचाई में उपयोग होगा।
2. कांग्रेस पर हमला:
o 1960 में हुए सिंधु जल समझौते को कांग्रेस का ऐतिहासिक अन्याय बताया जाएगा।
o यह प्रचारित किया जाएगा कि नेहरू सरकार ने 80% पानी पाकिस्तान को देकर इन राज्यों के किसानों के साथ वंचना की।
3. नई योजनाओं की जानकारी:
o सरकार बताएगी कि वह चेनाब को सतलुज-ब्यास नदी प्रणाली से जोड़ने के लिए 160 किमी लंबी नहर और 13 किमी लंबी सुरंग बना रही है।
o यह नेटवर्क अंततः इंदिरा गांधी नहर प्रणाली से जुड़ जाएगा, जिससे राजस्थान तक पानी पहुंचेगा।
4. उझ परियोजना को दी गति:
o रावी नदी की सहायक उझ नदी पर प्रस्तावित परियोजना को फिर से चालू किया गया है।
o अब इसे रावी-व्यास लिंक योजना के तहत बड़ी नहर योजना में शामिल किया गया है, जिससे पानी व्यास बेसिन में स्थानांतरित किया जा सके।
इस अभियान के ज़रिए भाजपा सिंधु जल समझौते को वोट बैंक और जल अधिकार का मुद्दा बनाकर कांग्रेस को घेरना चाहती है। साथ ही यह दिखाना चाहती है कि मौजूदा सरकार दीर्घकालिक दृष्टिकोण से किसानों के हितों को प्राथमिकता दे रही है।
यह अभियान आगामी चुनावों से पहले उत्तर भारत में भाजपा के लिए राजनीतिक लाभ का साधन भी बन सकता है।