आज सावन मास का पहला सोमवार है और देवभूमि उत्तराखंड हर-हर महादेव के जयकारों से गूंज रही है।
सुबह से ही शिवालयों में श्रद्धालुओं की लंबी कतारें देखी जा रही हैं। मंदिरों में जलाभिषेक, रुद्राभिषेक, पंचामृत स्नान और महाआरती जैसे अनुष्ठानों के साथ भक्ति का विशेष वातावरण बना हुआ है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी इस पावन अवसर पर विशेष पूजा-अर्चना की। उन्होंने कहा,
“देवाधिदेव महादेव का विधिपूर्वक पूजन कर समस्त प्रदेशवासियों के सुख, समृद्धि और उत्तराखंड की उन्नति के लिए प्रार्थना की है।”
कमलेश्वर महादेव: आस्था, साधना और सिद्धि का केंद्र
श्रीनगर गढ़वाल स्थित प्राचीन सिद्धपीठ कमलेश्वर महादेव मंदिर इस सावन माह में भक्ति का प्रमुख केंद्र बना हुआ है। यह मंदिर उत्तराखंड के पांच महेश्वर पीठों में से एक माना जाता है और इसे सिद्धपीठ की मान्यता प्राप्त है।
मंदिर के महंत श्री 108 आशुतोष पुरी के अनुसार,
“जो भी भक्त निष्काम भाव से फल, पंचामृत और मंत्रोच्चारण के साथ अभिषेक करता है, उसे सभी कार्यों में शिव कृपा से सिद्धि प्राप्त होती है।”
यहां रुद्राभिषेक, बेलपत्र अर्पण, और विशेष महाआरती के आयोजन के साथ सावन का हर सोमवार भक्तों के लिए आध्यात्मिक ऊर्जा का स्रोत बन जाता है।
रामायण से जुड़ी है यह भूमि
पौराणिक मान्यता है कि यही वह स्थल है जहां भगवान श्रीराम ने 108 कमल पुष्पों से भगवान शिव का रुद्राभिषेक कर ब्रह्महत्या दोष से मुक्ति पाई थी। यह स्थल पंचकेदार परंपरा से भी जुड़ा हुआ है।