जिलाधिकारी आलोक कुमार पांडेय ने स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर करने के उद्देश्य से स्वास्थ्य विभाग को कड़े निर्देश जारी किए हैं। उन्होंने स्पष्ट कहा है कि सरकारी चिकित्सक यदि मरीजों को बाहर की दवाएं लिखते हैं, तो उसका पूरा रिकॉर्ड अनिवार्य रूप से रखा जाए। यह रिकॉर्ड कम से कम एक वर्ष तक अस्पताल में संरक्षित किया जाना अनिवार्य होगा।
डीएम ने नाराजगी जताते हुए कहा कि कुछ चिकित्सक जानबूझकर मरीजों को ऐसी महंगी दवाएं लिख रहे हैं, जो सरकारी अस्पतालों में उपलब्ध नहीं होतीं, जिससे मरीजों को निजी मेडिकल स्टोर से दवाएं खरीदनी पड़ती हैं। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि चिकित्सक जेनेरिक दवाओं को नजरअंदाज कर रहे हैं, जो कि अनुचित है।
डीएम ने सीएमओ, सभी सरकारी अस्पतालों के चिकित्सा अधीक्षकों और प्रभारी अधिकारियों को निर्देशित किया है कि यदि अस्पताल में कोई दवा उपलब्ध नहीं है, तो उसी श्रेणी की जेनेरिक दवा को प्राथमिकता दी जाए।
उन्होंने कहा कि चिकित्सकों द्वारा मरीज को जो भी परामर्श दिया जाए, चाहे वह मौखिक हो या पर्ची में लिखा गया हो, उसका रिकॉर्ड रखना आवश्यक होगा। इस निर्णय का उद्देश्य मरीजों पर आर्थिक बोझ को कम करना और पारदर्शिता बनाए रखना है।
जिला अस्पताल में मरीजों की भारी भीड़
शनिवार को अल्मोड़ा जिला अस्पताल में मरीजों की भारी भीड़ देखने को मिली। अस्पताल की ओपीडी 450 से अधिक रही, जिसमें बुखार, सर्दी, जुकाम, पेट दर्द सहित मौसमी बीमारियों के मरीजों की संख्या ज्यादा रही।
चिकित्सक कक्ष, दवा वितरण कक्ष, एक्स-रे, अल्ट्रासाउंड और पैथोलॉजी केंद्रों के बाहर लंबी लाइनें लगी रहीं, जिससे स्वास्थ्य विभाग की कार्यक्षमता पर भी प्रश्नचिह्न खड़ा हुआ।
प्रशासन द्वारा दिए गए निर्देशों से उम्मीद है कि सरकारी अस्पतालों में पारदर्शिता बढ़ेगी और आमजन को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं सुलभ होंगी।