Wednesday, February 5, 2025

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संपत्ति के हस्तांतरण-बेदखली का आदेश दे सकते हैं न्यायाधिकरण

वरिष्ठ नागरिक संरक्षण कानून मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि माता-पिता तथा वरिष्ठ नागरिकों के भरण-पोषण और कल्याण अधिनियम, 2007 के तहत गठित न्यायाधिकरण संपत्ति के हस्तांतरण व बेदखली का आदेश दे सकते हैं।जस्टिस सीटी रविकुमार और जस्टिस संजय करोल की पीठ ने कहा कि 2007 का कानून वरिष्ठ नागरिकों के समक्ष आने वाली चुनौतियों को देखते हुए उनके अधिकारों को सुरक्षित करने के लिए लाभकारी कानून है। यह नहीं कहा जा सकता है कि अधिनियम के तहत गठित न्यायाधिकरण धारा-23 के तहत अधिकार का प्रयोग करते हुए कब्जे को हस्तांतरित करने का आदेश नहीं दे सकते। पीठ ने कहा कि इससे हटकर निर्णय लेने से कानून का मकसद विफल हो जाएगा।पीठ ने कहा है कि हमारे विचार से धारा 23 के तहत वरिष्ठ नागरिकों को उपलब्ध राहत अधिनियम के उद्देश्यों तथा कारणों से आंतरिक रूप से जुड़ी हुई है कि कुछ मामलों में हमारे देश के बुजुर्ग नागरिकों की देखभाल नहीं की जा रही है। यह अधिनियम के उद्देश्यों को आगे बढ़ाने में प्रत्यक्ष रूप से सहायक है आैर बुजुर्गों को संपत्ति हस्तांतरित करते समय अपने अधिकारों को तुरंत सुरक्षित करने का अधिकार देता है, बशर्ते हस्तांतरितकर्ता द्वारा रखरखाव किया जाए।शीर्ष कोर्ट ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के 2022 के फैसले को खारिज कर दिया, जिसमें न्यायाधिकरण के फैसले को बरकरार रखने वाले एकल पीठ के आदेश को खारिज किया गया था। न्यायाधिकरण ने अपीलकर्ता उर्मिला दीक्षित की ओर से बेटे सुनील शरण और अन्य के पक्ष में 1968 में अर्जित संपत्ति के संबंध में किए गए उपहार विलेख को 2019 में रद्द कर दिया था। उर्मिला ने दावा किया था कि जीवन के अंत तक उनकी देखभाल करने का वचन नहीं निभाया। शीर्ष कोर्ट ने 28 फरवरी, 2025 तक अपीलकर्ता को संपत्ति वापस करने का आदेश दिया।

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