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हिमालयी क्षेत्रों में एक अक्तूबर से शुरू होगी जातीय जनगणना, दो चरणों में होगा कार्य

उत्तराखंड समेत हिमालयी बर्फबारी वाले क्षेत्रों में आगामी जाति...

आरटीओ ऑफिस के पास ददर्नाक हादसा

तड़के बुधवार ऋषिकेश स्थित आरटीओ ऑफिस के पास एक...

देवभूमि

कुमाऊं : कैसे हुआ नामकरण

इस प्रान्त का नाम कुर्मांचल या कुमाऊं होने के...

रामगंगा नदी घाटी में दबा है ऐतिहासिक शहर! फिर दुनिया के सामने लाने को ASI ने कसी कमर

अल्मोड़ा. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने उत्तराखंड के अल्मोड़ा...

नंदा देवी जात यात्रा – देवभूमि की अमृत धारा

नंदा देवी जात यात्रा – देवभूमि की अमृत धारा यात्रा...

व्यक्तितव

वीर सिपाही शहीद केसरी चंद

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डॉ. यशवंत सिंह कठोच

डॉ. यशवंत सिंह कठोच का नाम वैसे तो उत्तराखंड...

सुमित्रानंदन पंत

अमिताभ बच्चन को उनका नाम दिया था कवि सुमित्रानंदन...

Bachendri Pal

Bachendri Pal, (born May 24, 1954, Nakuri, India), Indian...

The World of Raghu Rai: His Photography & Life

It was a picture of a donkey that started...

ताना-बाना

उत्तराखंड में हुए एक सीक्रेट मिशन का खतरा आज भी बरकरार

बात 1965 की है,  जब वियतनाम युद्ध तेज हो रहा...

पनीर ने रोका पलायन : रौतू कीबेली गाँव

उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में बसे गाँवों में रोज़गार...

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Wednesday, July 30, 2025

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वीडियो गेम खेलने वालों को हो सकती है सुनने की समस्या

वीडियो गेम खेलने वाले लोगों को सुनने की समस्या (बहरापन) या टिनिटस होने का जोखिम सबसे अधिक अधिक होता है। यह जानकारी विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के सहयोग से किए गए एक अध्ययन में सामने आई है। इसके नतीजे बीएमजे पब्लिक हेल्थ जर्नल में प्रकाशित हुए हैं।शोधकर्ताओं ने 50,000 से अधिक लोगों पर किए गए अध्ययनों का विश्लेषण किया और पाया कि गेमिंग के दौरान सुनाई देने वाले ध्वनि स्तर अक्सर सुरक्षित सीमा के करीब या उससे अधिक होती हैं। सामान्य श्रवण शक्ति वाले व्यक्तियों के लिए 25-30 डेसीबल ध्वनि पर्याप्त होती है। 75 डेसीबल तेज और 80-90 डेसीबल ध्वनि, प्रदूषक स्तर की मानी जाती है जो श्रवण शक्ति को स्थायी हानि पहुंचाने में सक्षम होती है। 95 डेसीबल अत्यन्त तेज और 120 डेसीबल ध्वनि या इससे अधिक तीव्र ध्वनि अत्यंत कष्टकारी होती है। शोधकर्ताओं के अनुसार 85 डेसीबल (डीबी) से ज्यादा की ध्वनि मनुष्यों के लिए खतरनाक मानी जाती है। इस स्तर पर लंबे समय तक संपर्क में रहने से इन्सान को बेहरेपन का अधिक खतरा रहता है। 90 डेसीबल से ज्यादा की ध्वनि से दीर्घकालिक श्रवण क्षति हो सकती है। आंकड़ों के विश्लेषण के दौरान पाया गया कि वीडियो गेमिंग के समय अधिकतर लोगों का ध्वनि स्तर 85 और 90 डेसीबल के आसपास रहा। शोध में यह भी कहा गया है कि हेडफोन, ईयरबड्स और संगीत कार्यक्रमों को पहले से ही संभावित रूप से असुरक्षित ध्वनि स्रोतों के रूप में पहचाना गया है। हालांकि ई-स्पोर्ट्स सहित वीडियो गेमिंग के सुनने की क्षमता पर पड़ने वाले प्रभावों पर अपेक्षाकृत कम ध्यान दिया गया है।

शोध के अनुसार गंभीर टिनिटस न केवल मानसिक तनाव और चिंता बढ़ाता है, बल्कि यह कार्यक्षमता को भी प्रभावित करता है। टिनिटस से पीड़ित लोगों को एकाग्रता में परेशानी होती है, जिससे काम करने में परेशानी आती है। टिनिटस की वजह से नींद की परेशानी भी होती है, जिससे दिन में एकाग्रता बनाए रखना मुश्किल हो सकता है।

वीडियो गेमिंग के कारण उच्च ध्वनि से होने वाला टिनिटस बेहद खतरनाक श्रेणी में आता है। इसके प्रभाव के कारण श्रवण शक्ति पर गहरा असर पड़ सकता है। टिनिटस एक ऐसी स्थिति है जिसमें व्यक्ति को सिर या कानों के अंदर लगातार किसी न किसी प्रकार की ध्वनि सुनाई देती है। यह ध्वनि बजने, गूंजने, भनभनाने, फुफकारने या दहाड़ने जैसी हो सकती है।

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