Monday, November 24, 2025

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विवादों के बीच जी-20 सम्मेलन समाप्त, भारत की मजबूत मौजूदगी

अमेरिकी विरोध के बावजूद जी-20 शिखर सम्मेलन में घोषणापत्र सर्वसम्मति से अपनाया गया

जी-20 शिखर सम्मेलन में भाग लेने वाले राष्ट्राध्यक्षों ने अमेरिका के रोकने के प्रयासों के बावजूद शनिवार को सर्वसम्मति से घोषणापत्र को मंजूरी दे दी।
दक्षिण अफ्रीका के अंतरराष्ट्रीय संबंध एवं सहयोग मंत्री रोनाल्ड लामोला ने सरकारी चैनल SABC से बातचीत में इसे बहुपक्षवाद की बड़ी पुष्टि करार दिया।

 

अफ्रीका के लिए ऐतिहासिक क्षण” — दक्षिण अफ्रीका

लामोला ने कहा,

“यह हमारे लिए एक महान पल है, क्योंकि हमें विश्वास है कि इससे अफ्रीकी महाद्वीप में सकारात्मक क्रांति आएगी।”

अमेरिका ने मेजबान देश के साथ राजनयिक मतभेद के चलते शिखर सम्मेलन का बहिष्कार किया है। अपनी अनुपस्थिति में घोषणापत्र को अपनाने की प्रक्रिया रोकने के प्रयास भी असफल रहे।

लामोला ने स्पष्ट कहा —

“जी-20 अमेरिका के साथ या उसके बिना भी जारी रहेगा। केवल किसी एक आमंत्रित सदस्य की अनुपस्थिति के आधार पर मंच को ठप नहीं किया जा सकता। बहुपक्षीय प्रणाली सक्रिय रहनी चाहिए।”

 

सम्मेलन की शुरुआत में ही घोषणापत्र स्वीकार — परंपरा से हटकर निर्णय

एपी के अनुसार, जी-20 देशों ने परंपरा से हटते हुए सम्मेलन के अंत के बजाय शुरुआत में ही घोषणापत्र को अपनाया।
दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा के प्रवक्ता विंसेंट मैग्वेन्या ने बताया कि नेताओं के बीच यह आम सहमति बनी कि घोषणापत्र को पहले ही मंजूरी देना बेहतर रहेगा। परिणामस्वरूप जोहानिसबर्ग में सम्मेलन की शुरुआत में ही इसे सर्वसम्मति से स्वीकार कर लिया गया

 

घोषणापत्र में सख्त संदेश: “क्षेत्रीय अखंडता पर बल प्रयोग से बचें”

39 पृष्ठों के घोषणापत्र में जी-20 नेताओं ने कहा कि:

“सभी देशों को किसी अन्य देश की क्षेत्रीय अखंडता, संप्रभुता या राजनीतिक स्वतंत्रता के विरुद्ध ज़मीन पर कब्ज़े की धमकी या बल प्रयोग से बचना चाहिए।”

दस्तावेज़ में किसी देश का नाम नहीं लिया गया, लेकिन इसे रूस, इज़रायल और म्यांमार के संदर्भ में देखा जा रहा है।

घोषणापत्र में आगे कहा गया है कि देशों को मैत्रीपूर्ण संबंधों को मजबूत करने, तथा नस्ल, लिंग, भाषा या धर्म के भेदभाव के बिना मानवाधिकार और मौलिक स्वतंत्रता को बढ़ावा देने की दिशा में आगे बढ़ना चाहिए।

 

ऊर्जा, जलवायु और आपदा प्रबंधन भी केंद्र में

दस्तावेज़ में ऊर्जा सुरक्षा, जलवायु कार्रवाई और आपदा प्रबंधन को भी प्रमुख प्राथमिकताओं के रूप में रेखांकित किया गया है।

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