Sunday, July 6, 2025

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विपक्ष का दूसरे दिन भी हंगामा, कामकाज नहीं

शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन बुधवार को भी संसद के दोनों सदनों की कार्यवाही विपक्ष के हंगामे की भेंट चढ़ गई। विपक्षी सदस्यों की तरफ से अमेरिका में अदाणी पर लगे आरोपों, संभल हिंसा, दिल्ली में बढ़ते अपराध और मणिपुर मामले में चर्चा कराने की मांग की गई। कांग्रेस की तरफ से अदाणी मामले की संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से जांच कराने की भी मांग की गई। विपक्ष ने इन मुद्दों पर स्थगन प्रस्ताव लाने के लिए नोटिस भी दिए, जिसे आसन ने खारिज कर दिया। इस पर विपक्षी सदस्य और भड़क गए और नारे लगाने लगे। इसके चलते किसी भी सदन में कोई कामकाज नहीं हो सका।

हंगामे के चलते निचले सदन की कार्यवाही को पहले दोपहर 12:00 बजे तक के लिए स्थगित किया गया। दोबारा जब कार्यवाही शुरू हुई तो विपक्ष का हंगामा जारी रहा। हंगामे के बीच ही जितेंद्र सिंह ने एक प्रस्ताव पेस किया और उसके पारित होने के बाद स्पीकर के आसन पर बैठे भाजपा सांसद दिली सैकिया ने दिनभर के लिए कार्यवाही स्थगित करने की घोषणा कर दी। इससे पहले, कार्यवाही शुरू होने से पहले ही कांग्रेस सांसद मणिक्कम टैगोर और मनीष तिवारी ने स्थगन प्रस्ताव लाने के लिए अलग-अलग नोटिस दिया। इसमें सभी कामकाज रोककर अदाणी पर अमेरिका पर लगे आरोपों से भारत पर पड़ने वाले प्रभाव और भारतीय नियामक और निरीक्षण प्रक्रियाओं की मजबूती के मुद्दे पर चर्चा कराने की मांग की गई। कांग्रेस सदस्य हिबी इडेन ने मणिपुर में खराब होते हालात और शांति व न्याय बहाली की मांग पर चर्चा के लिए स्थगन प्रस्ताव का नोटिस दिया।

धनखड़ ने कहा, नियम 267 को लेकर 30 साल का संसदीय इतिहास गवाह है। सदन में एक आध बार से अधिक इस नियम के तहत चर्चा नहीं हुई। इसकी पृष्ठभूमि में हर बार सहमतिपूर्ण दृष्टिकोण, राजनीतिक दलों के मध्य संवाद परिलक्षित हुआ है। धनखड़ ने कहा कि वह सदन के सदस्यों से अनुरोध करते हैं कि वे संविधान के अंगीकार दिवस के अगले दिन सदन में उत्पादकता का स्तर बढ़ाएं, ऐसा वातावरण बनाएं जो चर्चा, संवाद, विचार-विमर्श और नियमों के पालन की दृष्टि से आदर्श हो।

 राज्यसभा में 18 नोटिस मिले, सभी खारिज

अदाणी, संभल सहित इन सभी मुद्दों पर चर्चा के लिए स्थगन प्रस्ताव लाने के लिए विपक्षी सदस्यों की तरफ से नियम 267 के तहत 18 नोटिस दिए गए। इनमें अकेले कांग्रेस के रणदीप सुरजेवाला समेत नौ सदस्यों की तरफ से नोटिस शामिल थे, जिनमें अदाणी मामले की जेपीसी से जांच कराने की मांग की गई। आप ने दिल्ली में अपराध की बढ़ती घटनाओं पर चर्चा के लिए नोटिस दिया। सपा ने संभल पर चर्चा और सुप्रीम कोर्ट में निगरानी की जांच की मांग की। तृणमूल, द्रमुक और भाकपा ने मणिपुर पर चर्चा के लिए नोटिस दिया। सभापति जगदीप धनखड़ ने इन सभी नोटिसों को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि विभिन्न प्रस्तावों के माध्यम से सभी सदस्यों को अपनी बात कहने का मौका मिलेगा। उन्होंने कहा कि सभापति के निर्णय का सम्मान होना चाहिए और उसे मतभेद का कारण नहीं बनाना चाहिए। उनके इतना कहते ही विपक्षी सांसदों ने नारेबाजी शुरू कर दी।

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