Friday, December 26, 2025

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वाशिंगटन-बीजिंग में बढ़ी तल्खी: भारत-चीन सीमा विवाद पर अमेरिका की रिपोर्ट देख भड़का ड्रैगन, कहा- “दखलंदाजी बंद करे वाशिंगटन”

बीजिंग/नई दिल्ली: भारत और चीन के बीच सीमा विवाद को लेकर अमेरिका की एक हालिया रिपोर्ट पर चीन ने बेहद तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। बीजिंग ने वाशिंगटन को कड़ा संदेश देते हुए कहा है कि अमेरिका को दो संप्रभु देशों के द्विपक्षीय मामलों में आग लगाने और भड़काने वाली बयानबाजी से बचना चाहिए। चीनी विदेश मंत्रालय ने इस रिपोर्ट को ‘तथ्यहीन’ करार देते हुए अमेरिका पर दक्षिण एशिया में भू-राजनीतिक लाभ के लिए तनाव पैदा करने का आरोप लगाया है।

विवाद की जड़: क्या थी अमेरिकी रिपोर्ट?

अमेरिकी विदेश विभाग और रक्षा विभाग (पेंटागन) की हालिया रिपोर्टों में भारत-चीन सीमा (LAC) पर चीन द्वारा किए जा रहे बुनियादी ढांचे के निर्माण और सैन्य तैनाती को क्षेत्र की स्थिरता के लिए खतरा बताया गया था। रिपोर्ट में दावा किया गया था कि चीन जानबूझकर यथास्थिति को बदलने का प्रयास कर रहा है, जिससे भारत के लिए सुरक्षा चुनौतियां बढ़ रही हैं।

चीन का ‘धांसू’ जवाब: “भारत और हम मामले सुलझाने में सक्षम”

चीन ने आधिकारिक बयान जारी कर अमेरिका को अपनी सीमा में रहने की नसीहत दी है। चीन की ओर से कहा गया है:

  • द्विपक्षीय मामला: भारत और चीन के बीच सीमा का मुद्दा पूरी तरह से द्विपक्षीय है और दोनों देश इसे शांतिपूर्ण वार्ता के माध्यम से सुलझाने में सक्षम हैं।
  • भड़काने की साजिश: अमेरिका इस तरह की रिपोर्टों के जरिए भारत को चीन के खिलाफ भड़काना चाहता है, ताकि वह अपने ‘इंडो-पैसिफिक’ एजेंडे को आगे बढ़ा सके।
  • तीसरे पक्ष की भूमिका नहीं: बीजिंग ने स्पष्ट किया कि सीमा विवाद में किसी भी तीसरे देश (विशेषकर अमेरिका) के हस्तक्षेप की कोई जगह नहीं है।

राजनयिक विशेषज्ञों का आकलन

विशेषज्ञों का मानना है कि चीन की यह तीखी प्रतिक्रिया उसकी उस असुरक्षा को दर्शाती है जो भारत और अमेरिका के बीच बढ़ती सैन्य नजदीकी के कारण पैदा हुई है। जहाँ भारत ने बार-बार कहा है कि सीमा पर शांति ही रिश्तों को सामान्य बनाने की शर्त है, वहीं चीन लगातार इसे एक ‘सीमांत मुद्दा’ बताकर दरकिनार करने की कोशिश करता रहा है।

वैश्विक प्रभाव और भारत का रुख

भारत ने फिलहाल इस चीनी प्रतिक्रिया पर कोई नया बयान नहीं दिया है, लेकिन नई दिल्ली ने हमेशा यह रुख अपनाया है कि वह अपनी क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। अमेरिका की ओर से आई इस रिपोर्ट ने एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय मंच पर चीन की विस्तारवादी नीतियों को चर्चा के केंद्र में ला दिया है।

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