संसद के ongoing शीतकालीन सत्र में आज का दिन विशेष महत्व रखने वाला है। लोकसभा में ‘वंदे मातरम’ पर व्यापक चर्चा आयोजित की जा रही है, जिसकी शुरुआत स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे। राष्ट्रगीत के 150 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में यह चर्चा आयोजित की गई है, ताकि उसके ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और राष्ट्रभावना से जुड़े महत्व को फिर से रेखांकित किया जा सके।
प्रधानमंत्री मोदी के द्वारा चर्चा की शुरुआत किए जाने को एक प्रतीकात्मक क्षण माना जा रहा है। माना जा रहा है कि अपने संबोधन में वह ‘वंदे मातरम’ की रचना से लेकर स्वतंत्रता आंदोलन में इसकी भूमिका और आज के नए भारत में इसकी प्रासंगिकता पर बात करेंगे। सरकार का कहना है कि यह केवल एक सांस्कृतिक आयोजन नहीं, बल्कि देश की एकजुटता और राष्ट्रीय गौरव को पुनः स्थापित करने का अवसर भी है।
संसद में आयोजित इस चर्चा में विभिन्न राजनीतिक दलों के सांसद हिस्सा लेंगे। उम्मीद है कि सांसद ‘वंदे मातरम’ से जुड़ी ऐतिहासिक घटनाओं, स्वतंत्रता सेनानियों के संघर्ष में इसकी भूमिका और समाज में इसकी प्रेरक शक्ति पर अपने विचार साझा करेंगे। लोकसभा सचिवालय ने पूरी बहस के लिए विशेष समय निर्धारित किया है, ताकि सभी सदस्यों को विचार रखने का अवसर मिल सके।
आज की चर्चा को संसदीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण सत्र के रूप में देखा जा रहा है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि ‘वंदे मातरम’ की 150वीं वर्षगांठ पर संसद द्वारा इस प्रकार की चर्चा आयोजित करना भारत की सांस्कृतिक धरोहर को सम्मान देने और नई पीढ़ी को इसके महत्व से परिचित कराने का एक प्रभावी कदम है।
कुल मिलाकर, प्रधानमंत्री की मौजूदगी और राष्ट्रगीत के सम्मान में होने वाली विस्तृत बहस आज के संसदीय दिन को विशेष और ऐतिहासिक बनाने जा रही है।





