संसद का शीतकालीन सत्र अपने मध्य चरण में है और इसी दौरान राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम के 150 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में 8 दिसंबर को संसद में विशेष चर्चा आयोजित की गई है। इस अवसर पर सदन में गीत के इतिहास, उसके साहित्यिक और सांस्कृतिक महत्व तथा स्वतंत्रता आंदोलन में निभाई भूमिका से जुड़े कम-ज्ञात तथ्यों को सामने रखा जाएगा।
पीएम मोदी करेंगे चर्चा की शुरुआत
समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दोपहर 12 बजे लोकसभा में बहस की शुरुआत करेंगे। बहस के समापन का दायित्व रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह निभाएंगे।
राज्यसभा में इस चर्चा की शुरुआत केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा किए जाने की संभावना है।
कांग्रेस के 8 नेता भी रखेंगे अपनी बात
वंदे मातरम पर होने वाली इस ऐतिहासिक बहस में विपक्षी दल भी अपनी भूमिका निभाएंगे। कांग्रेस की ओर से लोकसभा और राज्यसभा मिलाकर आठ सांसद चर्चा में हिस्सा लेंगे। इन नेताओं में प्रमुख नाम शामिल हैं—
- गौरव गोगोई (उप नेता प्रतिपक्ष, लोकसभा)
- प्रियंका वाड्रा
- दीपेंद्र हुड्डा
- बिमोल अकोइजाम
- प्रणीति शिंदे
- प्रशांत पडोले
- चमाला रेड्डी
- ज्योत्सना महंत
वंदे मातरम के 150 वर्ष: एक ऐतिहासिक यात्रा
शीतकालीन सत्र 1 दिसंबर से शुरू हुआ है और 19 दिसंबर तक चलेगा। इसी सत्र के दौरान 7 नवंबर को वंदे मातरम की 150वीं वर्षगांठ मनाई गई।
- बंकिम चंद्र चटर्जी द्वारा रचित वंदे मातरम पहली बार 7 नवंबर 1875 को साहित्यिक पत्रिका ‘बंगदर्शन’ में प्रकाशित हुआ था।
- वर्ष 1882 में यह गीत उनके प्रसिद्ध उपन्यास ‘आनंदमठ’ का हिस्सा बना।
- रवींद्रनाथ टैगोर ने इस गीत को संगीतबद्ध किया और यह स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान क्रांतिकारियों और आंदोलनकारियों का जोशीला नारा बन गया।
- 24 जनवरी 1950 को स्वतंत्र भारत की संविधान सभा ने वंदे मातरम को राष्ट्रीय गीत का दर्जा प्रदान किया।
संसद में होने वाली यह विशेष चर्चा न केवल ऐतिहासिक महत्व रखती है, बल्कि देश की सांस्कृतिक धरोहर और स्वतंत्रता आंदोलन की स्मृतियों को भी नए सिरे से उजागर करने का अवसर मानी जा रही है।





