Wednesday, December 31, 2025

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वंदे भारत स्लीपर का पटरियों पर ‘शक्ति प्रदर्शन’: 180 किमी की रफ्तार और स्थिरता ऐसी कि पानी की बूंद भी न छलकी

नई दिल्ली/चेन्नई: भारतीय रेलवे के आधुनिकीकरण के सफर में एक नया स्वर्णिम अध्याय जुड़ गया है। बहुप्रतीक्षित वंदे भारत स्लीपर ट्रेन ने अपने हालिया ट्रायल रन के दौरान न केवल अपनी रफ्तार का लोहा मनवाया, बल्कि यात्रियों की सुरक्षा और आराम के मानकों को भी एक नई ऊंचाई पर पहुँचा दिया। 180 किलोमीटर प्रति घंटे की टॉप स्पीड पर दौड़ते हुए भी इस ट्रेन में कंपन (Vibration) न के बराबर रहा, जिसका एक हैरान कर देने वाला वीडियो भी सामने आया है।

रफ्तार के साथ ‘सुपर स्टेबिलिटी’ का प्रदर्शन

ट्रायल रन के दौरान ट्रेन की स्थिरता को परखने के लिए एक विशेष परीक्षण किया गया। कोच के भीतर एक मेज पर गिलास के ऊपर दूसरा गिलास रखा गया और उनमें पानी भरा गया। जब ट्रेन 180 किमी/घंटा की उच्च गति पर थी, तब भी वे गिलास अपनी जगह से टस से मस नहीं हुए और पानी की एक बूंद भी नीचे नहीं गिरी। यह परीक्षण साबित करता है कि ट्रेन के सस्पेंशन और अत्याधुनिक तकनीक ने इसे वैश्विक स्तर की ट्रेनों के समकक्ष लाकर खड़ा कर दिया है।

180 किमी की रफ्तार और सुरक्षा फीचर्स

रेलवे अधिकारियों के अनुसार, यह स्लीपर संस्करण मौजूदा वंदे भारत (चेयर कार) की तुलना में कई उन्नत खूबियों से लैस है।

  • कवच प्रणाली: ट्रेन में स्वदेशी सुरक्षा तकनीक ‘कवच’ फिट की गई है, जो दो ट्रेनों की टक्कर को रोकने में सक्षम है।
  • स्वचालित दरवाजे: सुरक्षा के लिए ट्रेन में सेंसर आधारित ऑटोमैटिक दरवाजे लगाए गए हैं।
  • अग्निशमन तकनीक: कोचों में उन्नत फायर डिटेक्शन और सप्रेशन सिस्टम लगाया गया है।

हवाई जहाज जैसा अनुभव और वर्ल्ड क्लास सुविधाएं

वंदे भारत स्लीपर ट्रेन को लंबी दूरी के सफर के लिए डिजाइन किया गया है। इसके इंटीरियर को किसी लग्जरी होटल या हवाई जहाज की तरह भव्य बनाया गया है।

  • बेहतर कुशनिंग: स्लीपर बर्थ को अत्यधिक आरामदायक बनाया गया है ताकि लंबी यात्रा में थकान न हो।
  • आधुनिक शौचालय: ट्रेन में बायो-वैक्यूम टॉयलेट्स और टच-फ्री सुविधाएं दी गई हैं।
  • पढ़ने के लिए लाइट और चार्जिंग पॉइंट्स: हर बर्थ पर व्यक्तिगत मोबाइल चार्जिंग पॉइंट और रीडिंग लाइट की व्यवस्था है।

कब शुरू होगी आम जनता के लिए सेवा?

सफल ट्रायल के बाद अब इस ट्रेन को जल्द ही कमर्शियल ऑपरेशंस के लिए हरी झंडी मिलने की उम्मीद है। रेल मंत्रालय का लक्ष्य है कि राजधानी एक्सप्रेस जैसे रूटों पर इन ट्रेनों को चलाया जाए ताकि यात्री कम समय में और अधिक आराम के साथ अपना सफर पूरा कर सकें। रेल मंत्री ने इस सफलता पर वैज्ञानिकों और इंजीनियरों की टीम को बधाई देते हुए इसे ‘मेक इन इंडिया’ की एक शानदार जीत बताया है।

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