चमोली ज़िले के ल्वाणी गांव में भू-धंसाव का खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है। विकासखंड को लोहाजंग-वाण से जोड़ने वाली सड़क पिछले 12 दिनों से धंसी हुई है और बंद पड़ी है। सड़क धंसने से गांव के करीब 50 मकानों में गहरी दरारें आ गई हैं, जिनसे ग्रामीणों में भय और असुरक्षा का माहौल है।
विधायक-प्रशासन ने किया दौरा
गुरुवार को क्षेत्रीय विधायक भूपाल राम टम्टा, एसडीएम पंकज भट्ट, ब्लॉक प्रमुख तेजपाल रावत और लोक निर्माण विभाग के अधिकारी मौके पर पहुंचे। निरीक्षण के दौरान ग्रामीणों ने मांग उठाई कि भू-धंसाव प्रभावित क्षेत्र में सुरक्षा दीवार बनने के बाद ही सड़क खोलने का कार्य शुरू किया जाए। विधायक ने लोनिवि को सड़क के ऊपर और नीचे सुरक्षा दीवार बनाने के निर्देश दिए और प्रभावित परिवारों के घरों की जांच कराने को कहा।
भू-वैज्ञानिकों की टीम पहुंची
प्रशासन की पहल पर गुरुवार शाम को भू-वैज्ञानिकों की एक टीम ल्वाणी पहुंची। टीम गांव के सर्वेक्षण के बाद रिपोर्ट तैयार करेगी, जिसके आधार पर आगे की कार्यवाही होगी। यदि क्षेत्र का ट्रीटमेंट संभव नहीं पाया गया तो विस्थापन की प्रक्रिया शुरू की जा सकती है।
राशन-सब्जी की किल्लत, आठ पंचायत प्रभावित
सड़क धंसने से इलाके की आठ ग्राम पंचायतों में राशन, सब्ज़ी और ज़रूरी सामान की कमी हो गई है। ग्रामीणों का कहना है कि वर्ष 2024 में भी इसी स्थान पर सड़क धंसी थी, लेकिन तब इस क्षेत्र का स्थायी ट्रीटमेंट नहीं किया गया। अब स्थिति और भयावह हो गई है।
एक दशक से भूस्खलन की चपेट में गांव
ल्वाणी गांव पिछले 10 साल से भूस्खलन की जद में है। स्थानीय लोगों और प्रतिनिधियों ने कई बार शासन-प्रशासन से गांव के नीचे घट गदेरे में सुरक्षा दीवार बनाने की मांग की। अगस्त 2024 में सिंचाई विभाग ने यहां जांच कर सुरक्षा दीवार का आश्वासन दिया था, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो पाई।
कई घर रहने लायक नहीं बचे
गांव की जिला पंचायत सदस्य उर्मिला बिष्ट ने बताया कि अब पूरा गांव धंस रहा है और कई घर पूरी तरह से असुरक्षित हो चुके हैं। घरों के आंगन और पीछे-आगे गहरी दरारें पड़ चुकी हैं, जिससे लोग दहशत में हैं।
एसडीएम पंकज भट्ट ने कहा कि, “भू-वैज्ञानिकों की रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई होगी। यदि ट्रीटमेंट संभव नहीं हुआ तो विस्थापन की प्रक्रिया अपनाई जाएगी।”
पिंडर नदी से आई गाद ने और बढ़ाई मुसीबत
इधर, लगातार बारिश से पिंडर नदी का पानी और गाद सरस्वती शिशु मंदिर के मैदान और बेतालेश्वर मंदिर तक पहुंच गई थी। गुरुवार तक भी गाद नहीं हटाई जा सकी। स्कूल में गाद भरने के कारण तीन दिन से पढ़ाई बाधित है। मंदिर में भी मूर्तियों को नुकसान पहुंचा है। ग्रामीणों ने नदी किनारे आरसीसी दीवार बनाने की मांग की है।
स्थानीय व्यापारियों का कहना है कि अगर समय पर नदी से गाद हटा दी जाती, तो नदी का तल ऊँचा नहीं होता और बस्ती में पानी न घुसता।