उत्तराखंड का लोहाघाट क्षेत्र जल्द ही इको टूरिज्म के एक नए आकर्षण के रूप में विकसित होने जा रहा है। वन विभाग ने यहां पर्यटकों के लिए ठहरने की सुविधाएं विकसित करने और हिमालय दर्शन के लिए प्रसिद्ध स्थलों पर कॉटेज बनाने की योजना को आगे बढ़ा दिया है।
चंपावत जिले के इस प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर क्षेत्र में अब देवदार के घने जंगलों के बीच पर्यटक ठहरने का आनंद ले सकेंगे। साथ ही बालेश्वर मंदिर, मायावती आश्रम, हिंगला देवी मंदिर, कोलीढेक झील और वाणासुर का किला जैसे प्रमुख दर्शनीय स्थल इसकी खूबसूरती में चार चांद लगाते हैं।
पुराने भवनों को बनाया जाएगा पर्यटक आवास
लोहाघाट में पहले वन अनुसंधान केंद्र के अंतर्गत आने वाली नर्सरी और भवनों को चंपावत वन प्रभाग को सौंप दिया गया है। इन भवनों का सुदृढ़ीकरण और सौंदर्यीकरण कर इन्हें पर्यटक आवास में बदला जाएगा। इसमें लगभग 10 परिवारों के ठहरने की व्यवस्था की जाएगी।
नलिया में हिम दर्शन के लिए छह नए कॉटेज
लोहाघाट से वाराही देवी मंदिर की ओर जाने वाले मार्ग पर स्थित नलिया स्थल से हिमालय के विहंगम दृश्य दिखते हैं। यहां छह कॉटेज बनाने की योजना है। गर्मियों में भी यह स्थान ठंडा बना रहता है, जिससे यह पर्यटकों के लिए एक आदर्श ग्रीष्मकालीन ठिकाना बन सकता है। वन चेतना केंद्र के पुराने भवन को पुनर्निर्मित कर इसे रहने योग्य बनाया जा रहा है।
वन विभाग की सक्रिय पहल
मुख्य वन संरक्षक (इको टूरिज्म) प्रसन्न पात्रो के अनुसार, लोहाघाट क्षेत्र में इको टूरिज्म को बढ़ावा देने की दिशा में कई योजनाओं पर काम शुरू हो चुका है। अन्य संभावित स्थलों के लिए भी परियोजनाएं तैयार कर मुख्यालय को भेजी जा रही हैं।
यह पहल न केवल स्थानीय पर्यटन को बढ़ावा देगी, बल्कि रोजगार और आजीविका के नए अवसर भी पैदा करेगी, साथ ही पर्यावरण संरक्षण का एक स्थायी मॉडल भी प्रस्तुत करेगी।