नैनीताल: उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने नैनीताल जिले के रामनगर क्षेत्र में स्टोन क्रशरों के निर्माण और उनके संचालन पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए सभी पक्षकारों को नोटिस जारी कर विस्तृत जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।
पर्यावरणीय नियमों के उल्लंघन का मामला
अदालत में दायर जनहित याचिका में आरोप लगाया गया था कि रामनगर के संवेदनशील इलाकों में नियमों को ताक पर रखकर स्टोन क्रशरों को अनुमति दी गई है। याचिकाकर्ता का तर्क है कि इन क्रशरों के संचालन से न केवल स्थानीय पर्यावरण को भारी नुकसान पहुँच रहा है, बल्कि इससे कोसी नदी के पारिस्थितिक तंत्र और आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों के जनजीवन पर भी विपरीत प्रभाव पड़ रहा है।
सभी पक्षकारों को नोटिस जारी
मामले की सुनवाई के दौरान माननीय न्यायालय ने सख्त रुख अपनाते हुए राज्य सरकार, उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और संबंधित जिला प्रशासन को नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने यह स्पष्ट करने को कहा है कि घनी आबादी और संवेदनशील वन क्षेत्रों के करीब इन क्रशरों को अनुमति किन आधारों पर दी गई।
स्थानीय निवासियों में जगी उम्मीद
हाई कोर्ट के इस फैसले से रामनगर और आसपास के ग्रामीणों में खुशी की लहर है, जो लंबे समय से धूल और शोर के प्रदूषण के खिलाफ आवाज उठा रहे थे। ग्रामीणों का कहना है कि अवैध रूप से चल रहे स्टोन क्रशरों के कारण कृषि भूमि बंजर हो रही थी और जल स्रोत भी सूख रहे थे।
अगली सुनवाई तक लगी रहेगी रोक
अदालत ने अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि जब तक इस मामले में सभी पक्षों का जवाब संतोषजनक नहीं पाया जाता, तब तक किसी भी नए स्टोन क्रशर का निर्माण कार्य शुरू नहीं होगा और न ही पुराने विवादास्पद क्रशरों का संचालन किया जाएगा। न्यायालय ने प्रदूषण बोर्ड को निर्देश दिया है कि वह क्षेत्र का निरीक्षण कर एक वस्तुस्थिति रिपोर्ट भी पेश करे।





