मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद रक्षा विशेषज्ञ जिस बात की भविष्यवाणी कर रहे थे, अंततः मणिपुर में वही हुआ। राष्ट्रपति ने बृहस्पतिवार को मणिपुर में राष्ट्रपति शासन की अधिसूचना जारी कर दी। मुख्यमंत्री के इस्तीफे के बाद राज्य में पिछले चार दिनों से राजनीतिक संकट का समाधान हो गया। रक्षा विशेषज्ञों ने कहा, मणिपुर में जिस तरह के हालात थे, ऐसे में वहां राष्ट्रपति शासन के अलावा और कोई विकल्प बचा नहीं था। क्योंकि वहां के हालात अब काफी बिगड़ चुके थे। रक्षा विशेषज्ञ कर्नल नविंदर नारंग (सेवानिवृत्त) ने कहा, मणिपुर जिन कठिन परिस्थितियों से गुजर रहा था, उसे देखते हुए राष्ट्रपति शासन एक मात्रा विकल्प बचा था। वहां पर जिस तरह से पहाड़ और घाटी में लोग बंट गए हैं। वहां पर सुरक्षा एजेंसियों का पर लगातार सवाल उठ रहे थे और उनका मनोबल गिर रहा था। अब सेना को ऑपरेशन करने में आसानी होगी। राष्ट्रपति शासन से पहले कुछ अड़चनें थीं, अब वे सारी खत्म हो गई हैं। देश हित में अब सभी को सहयोग करना होगा।वायु सेना के एक पूर्व वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, निश्चित रूप से वहां पर हालात ठीक नहीं थे। सरकार को ठोस कदम उठाने थे, अंततः उसने उठाए। अब हालात सामान्य करने के लिए मिल कर काम करना होगा। उल्लेखनीय है कि मणिपुर में इससे पहले दस बार राष्ट्रपति शासन लागू हो चुका है।
मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद कांग्रेस की ओर से तीखी प्रतिक्रिया सामने आई है। केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि वह पिछले 20 महीने से राज्य में राष्ट्रपति शासन की मांग कर रही थी।