Monday, June 30, 2025

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रक्षा मंत्रालय ने स्वदेशी स्टील्थ फाइटर जेट के निर्माण को मंजूरी दी

केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को पांचवी पीढ़ी के स्वदेशी स्टील्थ लड़ाकू विमान के निर्माण को मंजूरी दी है। रक्षा अनुसंधान विकास संगठन (डीआरडीओ) इसके मॉडल एडवांस्ड मीडियम कांबैट एयरक्राफ्ट (एएमसीए) के डिजाइन पर पहले से काम कर रहा है। वर्तमान में सिर्फ तीन देशों अमेरिका, रूस और चीन के पास पांचवी पीढ़ी के स्टील्थ लड़ाकू विमान हैं।

आइये जानते हैं कि पांचवी पीढ़ी के विमान क्या होते हैं और भारत के लिए स्वदेशी विमानों का होना क्यों जरूरी है?

भारत का पहला पांचवी पीढ़ी का लड़ाकू विमान सिंगल सीट और दो इंजन वाला होगा। यह एडवांस्ड स्टील्थ कोटिंग और इंटरनल वेपन बेज से लैस होगा। इंटरनल वेपन बेज में लगाए गए हथियार बाहर से दिखते नहीं हैं। अमेरिका के एफ- 22 और रूस के एसयू- 57 लड़ाकू विमान में ये फीचर्स हैं। एमसीए के दो वर्जन होंगे।

पहले वर्जन में अमेरिका में बना जीइ 414 इंजन लगेगा। दूसरे वर्जन में स्वदेशी जेट इंजन लगेगा, जो जीइ 414 से ज्यादा ताकतवर होगा। कुल मिला कर यह सुपरमैन्यूवरेबल और स्टील्थ फीचर वाला मल्टीरोल लड़ाकू विमान होगा।

संभावित फीचर्स अधिकतम ऊचाई तक जा सकेगा, 55,000 फीट इंटरनल बेज में वैपन, 1,500 किलोग्राम बाहर, 5,500 किलोग्राम ईंधन क्षमता, 6,500 किलोग्राम

इसका मतलब टैक्टिवल मूवमेंट करने की लड़ाकू विमान की क्षमता से है। जैसे अचानक दिशा बदलना और अलग अलग एंगल से दूसरे लड़ाकू विमान पर हमला करना। पारंपरिक एयरोडायनामिक्स तकनीक से ऐसा करना संभव नहीं है।

स्टील्थ क्षमता से लैस विमान, पनडुब्बी या मिसाइल रडार या सोनार की पकड़ में नहीं आते हैं।

मल्टीरोल का मतलब है कि लड़ाकू विमान कई तरह के टैक्टिकल मिशन को अंजाम दे सकता है। जैसे एयर सुपीरियारिटी और ग्राउंड अटैक व दुश्मन के इलाके में घुस कर उसके एयर डिफेंस को ध्वस्त करना।

इसे सेना की भाषा में सीड आपरेशन कहते हैं। पांचवी पीढ़ी के लड़ाकू विमान 5वीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान सबसे उन्नत लड़ाकू विमान हैं, जो स्टील्थ, सुपरक्रूज, और डिजिटल तकनीकों से लैस होते हैं।

स्टील्थ: रडार से बचने की क्षमता, जिससे दुश्मन इन्हें आसानी से नहीं देख सकता।

सुपरक्रूज: आफ्टरबर्नर के बिना सुपरसोनिक गति (मैक 1 से अधिक) से उड़ान।

सेंसर फ्यूजन: सभी सेंसर से डाटा को इंटीग्रेट करके पायलट को युद्धक्षेत्र की पूरी तस्वीर देना।

नेटवर्क-सेंट्रिक वारफेयर: अन्य विमानों, ड्रोन और कमांड सेंटर के साथ रीयल-टाइम डाटा साझा करना।

एआइ और आटोमेशन: एआइ-आधारित इलेक्ट्रानिक पायलट और स्वचालित टारगेट ट्रैकिंग।

पीपुल्स लिबरेशन आर्मी एयर फोर्स (पीएलएएफ) के पास 250 से अधिक जे-20 स्टील्थ जेट्स हैं। जे-35 जैसे नए जेट्स विकसित हो रहे हैं। 2020 के लद्दाख गतिरोध ने दिखाया कि चीन की एयरफोर्स की ताकत भारत के लिए खतरा बन सकती है।

पाकिस्तान चीन से जल्द ही जे- 35 लड़ाकू विमान हासिल करने की योजना बना रहा है। हाल में हुए ऑपरेशन सिंदूर में भारत ने पाकिस्तान पर हवाई श्रेष्ठता साबित की है लेकिन स्टील्थ लड़ाकू विमानों के बिना भविष्य में ऐसा करना मुश्किल होगा।

भारत को अमेरिका ने एफ- 35 लड़ाकू विमान और रूस ने अपने एसयू- 57 लड़ाकू विमान बेचने की पेशकश की है। हो सकता है कि भारत इन विमानों में से कोई विमान चुने लेकिन बदलते सामरिक परिदृश्य में भारत के लिए स्वदेशी लड़ाकू विमान बनाना जरूरी है।

अमेरिका अपने हथियार और प्लेटफार्म के साथ कई तरह की शर्ते लगाता है। वहीं यूक्रेन के साथ युद्ध में फंसे रूस की रक्षा आपूर्ति की क्षमता भी सीमित हो गई है। ऐसे में भारत रक्षा के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए पूरा प्रयास कर रहा है।

कावेरी इंजन भारत का एक स्वदेशी टर्बोफैन जेट इंजन है। इसे गैस टर्बाइन रिसर्च इस्टैब्लिशमेंट (जीटीआरइ) द्वारा डीआरडीओ के तहत विकसित किया जा रहा है। इसकी शुरुआत 1980 के दशक के अंत में हुई थी, और इसका मुख्य उद्देश्य स्वदेशी लाइट कांबैट एयरक्राफ्ट (एलसीए) तेजस को शक्ति देना था।

भारत का ये महत्वकांक्षी प्रोजेक्ट देश को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। स्टील्थ यूएवी को देगा ताकत 1980 के दशक में शुरू की गई इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य अपने लड़ाकू विमानों के लिए विदेशी इंजनों पर भारत की निर्भरता को कम करना था, लेकिन भारत के 1998 के परमाणु परीक्षणों के बाद प्रतिबंधों के कारण इसे थ्रस्ट की कमी, वजन संबंधी मुद्दों और देरी जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ा।

2008 में तेजस कार्यक्रम से इसे अलग कर दिया गया था, लेकिन अब घातक स्टेल्थ यूसीएवी जैसे मानव रहित हवाई वाहनों (यूएवी) के लिए इसे विकसित किया जा रहा है।

डीआरडीओ रूस में स्वदेशी रूप से विकसित कावेरी जेट इंजन का परीक्षण कर रहा है और इसका उपयोग भारत में निर्मित लंबी दूरी के मानवरहित लड़ाकू विमान को ताकत देने के लिए किया जाएगा। वहां इस पर लगभग 25 घंटे का परीक्षण किया जाना बाकी है।

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