पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यूरोपीय संघ (EU) पर कड़ा प्रहार किया है। हाल ही में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर लगाए गए जुर्माने को लेकर ट्रंप ने कहा कि यूरोप “बहुत ही गलत दिशा में जा रहा है।” उन्होंने आरोप लगाया कि EU की नीतियाँ अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर सीधा प्रहार हैं और इस तरह के निर्णय लोकतांत्रिक मूल्यों को कमजोर करते हैं।
ट्रंप ने अपने बयान में कहा कि किसी भी लोकतांत्रिक समाज में जनता की आवाज़ को दबाना सबसे खतरनाक कदम होता है, और यूरोप इस समय उसी दिशा में बढ़ता हुआ दिखाई दे रहा है। उन्होंने एक्स पर लगे जुर्माने को “राजनीतिक दबाव और असहमति को नियंत्रित करने का प्रयास” बताया। ट्रंप ने दावा किया कि अगर ऐसे नियमों को प्रोत्साहन मिला, तो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म अपनी स्वतंत्र कार्यशैली खो देंगे।
पूर्व राष्ट्रपति ने यह भी कहा कि दुनिया के सामने आज सूचना की पारदर्शिता और डिजिटल स्पेस की स्वतंत्रता सबसे बड़ी चुनौतियाँ हैं। ऐसे में किसी भी मंच पर इस प्रकार की सख्त पाबंदियाँ तकनीकी नवाचार और अभिव्यक्ति की आज़ादी दोनों के लिए बाधक साबित हो सकती हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि यूरोपीय देशों की नीति-निर्माण प्रक्रिया यदि इसी राह पर चलती रही, तो इसका वैश्विक स्तर पर भी व्यापक असर पड़ सकता है।
ट्रंप के तीखे बयान के बाद अंतरराष्ट्रीय राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा तेज हो गई है कि EU और अमेरिका के बीच डिजिटल नियमन को लेकर मतभेद आगे और गहराने की संभावना है। विशेषज्ञों का कहना है कि एक्स के खिलाफ उठाए गए कदमों के बाद यह विवाद सिर्फ कानूनी दायरे तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता बनाम नियामक नियंत्रण की बड़ी बहस में भी बदल सकता है।
फिलहाल, EU अपने निर्णय को सही ठहराते हुए यह दावा कर रहा है कि डिजिटल प्लेटफॉर्म्स को पारदर्शिता के दायरे में लाना आवश्यक है, जबकि दूसरी ओर ट्रंप और उनके समर्थक इसे “अत्यधिक हस्तक्षेप” और “लोकतांत्रिक सिद्धांतों के विपरीत” मान रहे हैं। दोनों पक्षों के टकराव ने डिजिटल नीति और सोशल मीडिया स्वतंत्रता पर वैश्विक स्तर पर नई बहस को जन्म दे दिया है।





