गुवाहाटी (असम): कांग्रेस नेता गोरव गोगोई ने मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि राज्य में 2026 के विधानसभा चुनावों से पहले मतदाता सूची में उत्तर प्रदेश और बिहार के लोगों को शामिल करने की कोशिश की जा रही है। धुबरी में एक पार्टी कार्यक्रम के दौरान उन्होंने दावा किया कि सत्तारूढ़ भाजपा और मुख्यमंत्री सरमा “बाहरी वोटर्स” को असम की वोटर लिस्ट में जोड़कर राजनीतिक लाभ लेने का प्रयास कर रहे हैं।
गोगोई ने आरोप लगाया कि यह रणनीति इसलिए अपनाई जा रही है क्योंकि “असम के लोग मुख्यमंत्री सरमा को पसंद नहीं करते,” और भाजपा बाहरी मतदाताओं के सहारे चुनावी फायदा उठाना चाहती है। उन्होंने चुनाव आयोग, अन्य राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों से अपील की कि वे इस मुद्दे पर सतर्क रहें और सुनिश्चित करें कि राज्य से बाहर के लोग असम के चुनावों को प्रभावित न कर सकें।
ये आरोप ऐसे समय में सामने आए हैं जब चुनाव आयोग ने मतदाता सूची के विशेष सारांश-संशोधन (Special Summary Revision) की प्रक्रिया शुरू की है। 1 जनवरी 2026 की पात्रता तिथि के आधार पर यह संशोधन किया जा रहा है। गोगोई का कहना है कि मतदाता सूची को अद्यतन करने की प्रक्रिया के नाम पर प्रशासन “अपने हितों के अनुरूप बाहरी वोटर्स जोड़ने” की कोशिश कर रहा है।
कांग्रेस ने इस संदर्भ में संभावित चुनावी हेरफेर को रोकने के लिए लगभग 29,000 बूथ-स्तर एजेंट (BLA) तैयार करने की योजना बनाई है। गोगोई ने बताया कि यह कदम उनकी “Vote Chore, Gaddi Chore” अभियान का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य चुनावी प्रक्रियाओं में पारदर्शिता सुनिश्चित करना और किसी भी तरह की मतदाता धोखाधड़ी को रोकना है। उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस कई दलों के साथ मिलकर भाजपा को चुनौती देने की दिशा में गठबंधन का प्रयास तेज कर रही है, ताकि “लोगों के हितों की रक्षा” की जा सके।
इस विवाद पर प्रतिक्रिया देते हुए मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने गोगोई के आरोपों को खारिज कर दिया और पलटवार में उन्हें “पाकिस्तानी एजेंट” तक कह दिया। सरमा की यह टिप्पणी दोनों नेताओं के बीच चल रहे लंबे राजनीतिक विवाद को एक बार फिर तेज करने वाली साबित हुई है।
यदि गोगोई के आरोप सही साबित होते हैं, तो यह असम की मतदाता पहचान और लोकतांत्रिक प्रक्रिया के लिए गंभीर चुनौती होगी। उनका कहना है कि यह कथित रणनीति न केवल चुनावों को प्रभावित कर सकती है, बल्कि राज्य की सामाजिक-राजनीतिक पहचान और स्वायत्तता पर भी इसका असर पड़ेगा। दूसरी ओर, भाजपा और मुख्यमंत्री सरमा इस आरोप को विपक्षी राजनीति का हथकंडा बताकर खारिज कर रहे हैं। आगामी महीनों में चुनाव आयोग के कदम और इस मामले की वास्तविकता चुनावी माहौल को निर्णायक रूप से प्रभावित कर सकते हैं।





