साइबर अपराध गिरोहों के लिए युवाओं को अवैध रूप से म्यांमार भेजने वाले गिरोह का पर्दाफाश करते हुए पुलिस ने तीन एजेंटों को गिरफ्तार किया है। प्रारंभिक जांच में सामने आया कि ये एजेंट स्थानीय युवाओं को लालच देकर सीमा पार ले जाते थे, जहाँ उनसे ऑनलाइन धोखाधड़ी और साइबर अपराध से जुड़ा काम कराया जाता था।
पुलिस ने आरोपियों के नेटवर्क और वित्तीय लेन-देन की जांच शुरू कर दी है। अधिकारियों का कहना है कि रैकेट में शामिल अन्य लोगों की पहचान की जा रही है और जल्द और गिरफ्तारियां संभव हैं।
एसटीएफ के अनुसार म्यांमार के म्यावाड्डी शहर स्थित ‘केके पार्क’ में अवैध रूप से फंसे भारतीय युवकों को सुरक्षित वापस लाया गया है। उत्तराखंड समेत विभिन्न राज्यों के कई युवकों को दिल्ली पहुँचाकर उनके परिजनों को सौंप दिया गया। इनमें उत्तराखंड के नौ युवक भी शामिल हैं।
पूछताछ में खुलासा हुआ कि भारतीय एजेंट संगठित नेटवर्क के तहत युवाओं से मोटी रकम ऐंठते थे। इन्हें पहले थाई वीज़ा के माध्यम से बैंकॉक भेजा जाता था और फिर अवैध रूप से म्यावाड्डी में प्रवेश कराया जाता था।
जांच में यह भी सामने आया है कि एजेंट व्यक्तिगत रूप से या टेलीग्राम-व्हाट्सएप जैसे प्लेटफॉर्म के ज़रिए संपर्क कर युवाओं को जाल में फँसाते थे।
एसटीएफ के सहायक पुलिस अधीक्षक कुश मिश्रा के अनुसार अब तक उधमसिंह नगर के जसपुर निवासी सुनील कुमार, काशीपुर निवासी नीरव चौधरी और प्रदीप को गिरफ्तार किया गया है।





