Tuesday, August 26, 2025

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मेडिकल कॉलेजों में NRI कोटा प्रवेश घोटाले का भंडाफोड़, ED की बड़ी कार्रवाई

नई दिल्ली।
मेडिकल कॉलेजों में एनआरआई (अनिवासी भारतीय) कोटे के तहत प्रवेश दिलाने के नाम पर चल रहे एक बड़े घोटाले का प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने पर्दाफाश किया है। जांच में सामने आया है कि देशभर के कई निजी मेडिकल कॉलेजों ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर छात्रों को एमबीबीएस पाठ्यक्रम में दाखिला दिया।

विदेश मंत्रालय की सूचना पर खुला मामला

विदेश मंत्रालय और भारतीय दूतावासों की ओर से मिले इनपुट के बाद जांच शुरू हुई। प्रारंभिक जांच में सामने आया कि करीब 18,000 छात्रों को फर्जी एनआरआई प्रमाणपत्रों के आधार पर प्रवेश दिलाया गया था। यह फर्जीवाड़ा एजेंटों और कॉलेज प्रबंधन की मिलीभगत से लंबे समय से चल रहा था।

एजेंट और कॉलेज की मिलीभगत

जांच एजेंसी के अनुसार, निजी मेडिकल कॉलेजों ने एजेंटों को पैसे देकर फर्जी दस्तावेज तैयार कराए। कई मामलों में एक ही तरह के कागजात का उपयोग कई अभ्यर्थियों के लिए किया गया। चौंकाने वाली बात यह भी सामने आई कि कुछ असली एनआरआई अभ्यर्थियों को पैसे देकर उनके नाम और पहचान का इस्तेमाल दूसरों को दाखिला दिलाने के लिए किया गया।

फीस भुगतान में गड़बड़ी

नियमों के मुताबिक, एनआरआई कोटे से प्रवेश पाने वाले छात्रों की फीस उनके किसी एनआरआई रिश्तेदार द्वारा भरी जानी चाहिए। लेकिन ईडी की जांच में पाया गया कि अधिकांश मामलों में फीस एनआरआई परिवार के बजाय भारत में मौजूद रिश्तेदारों या अन्य लोगों ने जमा कराई।

छापेमारी में बरामद सबूत

ईडी की छापेमारी में फर्जी एनआरआई प्रमाणपत्र और अमेरिका में कार्यरत नोटरी अधिकारियों की नकली टिकटें बरामद की गईं। इससे यह स्पष्ट हुआ कि पूरा रैकेट दस्तावेजी जालसाजी पर आधारित था।

पश्चिम बंगाल और ओडिशा पर सवाल

एजेंसी ने खुलासा किया कि पश्चिम बंगाल और ओडिशा के कुछ अधिकारियों को धोखाधड़ी की स्पष्ट जानकारी थी, बावजूद इसके उन्होंने निजी मेडिकल कॉलेजों पर कोई कार्रवाई नहीं की। जबकि विदेश मंत्रालय ने समय रहते जालसाजी के सबूत उपलब्ध कराए थे।

करोड़ों की संपत्ति कुर्क

ईडी ने पश्चिम बंगाल के एक निजी मेडिकल कॉलेज की 6.42 करोड़ रुपये की सावधि जमा राशि (FD) अस्थायी रूप से कुर्क कर दी है। इससे पहले भी ईडी इन अनियमितताओं में शामिल कॉलेजों और व्यक्तियों की 12.33 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क कर चुकी है।

जांच जारी

ईडी अधिकारियों का कहना है कि यह रैकेट संगठित तरीके से काम कर रहा था और इसमें कई राज्यों के निजी मेडिकल कॉलेज शामिल हो सकते हैं। मामले में आगे और गिरफ्तारियां व कुर्की की संभावना जताई जा रही है।

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