Saturday, July 26, 2025

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मुनस्यारी में बने इको हट्स और डोरमेट्री निर्माण पर उठे सवाल, वित्तीय अनियमितता की जांच शुरू

मुनस्यारी रेंज के खलिया क्षेत्र में बने इको हट्स, डोरमेट्री, फायर लाइन सफाई और अन्य निर्माण कार्य अब गंभीर सवालों के घेरे में हैं। वन विभाग पर वित्तीय अनियमितताओं के आरोप लगे हैं, जिसके चलते प्रमुख सचिव वन आर.के. सुधांशु ने तत्कालीन डीएफओ और वर्तमान में पश्चिमी वृत्त के वन संरक्षक डॉ. विनय कुमार भार्गव से 15 दिनों के भीतर विस्तृत स्पष्टीकरण मांगा है।

क्या है मामला

वर्ष 2019 में पिथौरागढ़ वन प्रभाग के तहत खलिया आरक्षित कक्ष संख्या-3 में लगभग 1.64 करोड़ रुपये की लागत से 10 इको हट्स, एक डोरमेट्री, वन उत्पाद विक्रय केंद्र और ग्रोथ सेंटर का निर्माण किया गया। आरोप है कि ये सभी स्थायी निर्माण कार्य बिना सक्षम प्राधिकरण की अनुमति और वन संरक्षण अधिनियम 1980 के प्रावधानों की अवहेलना करते हुए किए गए।

इस संबंध में मुख्य वन संरक्षक (कार्ययोजना) संजीव चतुर्वेदी ने 24 दिसंबर 2024 को एक रिपोर्ट भेजी थी, जिसका हवाला देकर तत्कालीन प्रमुख वन संरक्षक धनंजय मोहन ने 17 जनवरी 2025 को प्रमुख सचिव को पत्र लिखा था। इसी के आधार पर वर्तमान में जांच आगे बढ़ रही है।

किन-किन बिंदुओं पर मांगा गया जवाब

  1. बिना पूर्व अनुमति के स्थायी निर्माण – इको हट्स और अन्य संरचनाएं बिना सक्षम स्वीकृति के बनाए गए।
  2. निर्माण सामग्री के लिए प्रक्रिया का उल्लंघन – बिना टेंडर व अनुमोदन के निजी संस्था से सामग्री ली गई और एकमुश्त भुगतान किया गया।
  3. ईडीसी फंड के 70% पर एमओयू – ईको डेवलपमेंट कमेटी पातलथौड़ के पर्यटन राजस्व का 70% हिस्सा देने का समझौता बिना सक्षम मंजूरी के किया गया।
  4. फायर लाइन की सफाई में अनियमितता – वर्ष 2021-22 में 10 स्वीकृत फायर लाइनों (6 किमी) के स्थान पर 90 किमी सफाई कार्य किया गया और ₹2 लाख खर्च किए गए।

कैसे हुआ खुलासा

यह कथित अनियमितता उस समय सामने आई जब राज्य स्तर पर पिथौरागढ़ वन प्रभाग की दस वर्षीय कार्ययोजना का मसौदा तैयार किया जा रहा था। प्रक्रिया के दौरान दस्तावेजों की समीक्षा में ये मुद्दे उजागर हुए।

अगला कदम क्या

प्रमुख सचिव वन ने स्पष्ट किया है कि यदि निर्धारित समय सीमा में जवाब नहीं मिला तो संबंधित अधिकारियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। यह मामला अब राज्य के पर्यावरणीय परियोजनाओं की पारदर्शिता और नियामक अनुपालन पर एक बड़ी परीक्षा बन चुका है।

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