Thursday, October 23, 2025

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महाराष्ट्र-छत्तीसगढ़ में माओवादी ध्रुवीकरण टूटा: भूपति समेत 138 माओवादियों ने किया समर्पण

महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के समक्ष बुधवार को माओवादी संगठन का एक बड़ा धक्का आया। छह करोड़ रुपये के इनामी माओवादी पोलित ब्यूरो सदस्य मल्लोजुला वेणुगोपाल राव उर्फ भूपति ने 60 साथियों के साथ हथियार छोड़कर भारतीय संविधान की शपथ ली। इस समर्पण में कुल 54 हथियार शामिल थे, जिनमें सात एके-47 और नौ इंसास राइफलें थीं।

भूपति को माओवादी संगठन में सबसे प्रभावशाली रणनीतिकारों में से एक माना जाता था। वह वर्षों तक महाराष्ट्र-छत्तीसगढ़ सीमा पर प्लाटून अभियानों का नेतृत्व करता रहा और संगठन की वैचारिक दिशा का मुख्य सूत्रधार था। सुरक्षा विशेषज्ञ इसे माओवादी इतिहास का सबसे निर्णायक मोड़ बता रहे हैं।

छत्तीसगढ़ में भी माओवादियों ने किया समर्पण

गढ़चिरौली से कुछ ही घंटों में छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र में भी माओवादी संगठन को बड़ा झटका लगा। सुकमा, कांकेर और कोंडागांव जिलों में 78 माओवादियों ने पुलिस के समक्ष हथियार डालकर समर्पण किया।

  • कांकेर में समर्पण करने वालों में डीकेएसजेडसी सदस्य राजमन मंडावी और राजू सलाम शामिल थे, जिन पर 25-25 लाख रुपये का इनाम था।
  • कांकेर जिले के कोयलीबेड़ा थाना क्षेत्र स्थित बीएसएफ की 40वीं बटालियन के कामतेड़ा कैंप में 50 माओवादी (32 महिला सहित) ने समर्पण किया।
  • इन माओवादी नेताओं ने कुल 39 हथियार पुलिस को सौंपे, जिनमें सात एके-47, दो एसएलआर, चार इंसास राइफलें, एक इंसास एलएमजी और एक स्टेन गन शामिल हैं।
  • सुकमा में 10 महिला सहित 27 माओवादियों ने पुलिस अधीक्षक किरण चव्हाण के समक्ष समर्पण किया, जिनमें से 16 पर कुल 50 लाख रुपये का इनाम था।

कोंडागांव जिले में पूर्वी बस्तर डिवीजन की टीम कमांडर गीता उर्फ कमली सलाम ने भी समर्पण किया।

फडणवीस ने बताया माओवादी अंत की शुरुआत

मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा कि भूपति और उसके 60 साथियों का समर्पण महाराष्ट्र में माओवादियों के अंत की शुरुआत है। उनका दावा है कि आने वाले दिनों में छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में पूरा लाल गलियारा माओवाद से मुक्त हो जाएगा।

गढ़चिरौली में इस समर्पण से एक लाख युवाओं के लिए रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और आगामी इस्पात केंद्र विकसित किया जाएगा। फडणवीस ने कहा कि पिछले 10 वर्षों में केंद्र सरकार ने सुनिश्चित किया कि प्रशासन और विकास समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचे

भूपति के समर्पण के बाद माओवादी संगठन की सबसे मजबूत वैचारिक दीवार ढह गई। अब संगठन की कमान सेंट्रल मिलिट्री कमीशन प्रमुख देवजी के हाथों में है, जो भूपति जैसी वैचारिक गहराई नहीं रखते। संगठन में अब केवल बीमार और निष्क्रिय सलाहकार ही बचे हैं।

भूपति का बड़ा भाई किशनजी, जो तेलंगाना में शीर्ष माओवादी नेता था, 2011 में मुठभेड़ में मारा गया था। भूपति का परिवार पहले ही मुख्यधारा में लौट चुका है; पत्नी तारक्का और भाभी सुजाता भी हथियार डाल चुके हैं।

विशेषज्ञों का कहना है कि भूपति के समर्पण के बाद माओवादी संगठन में नेतृत्व संघर्ष, अविश्वास और मतभेद तेजी से उभरने लगे हैं। आने वाले महीनों में छत्तीसगढ़ से झारखंड तक समर्पण की लहर फैलने की संभावना है।

इस घटनाक्रम को माओवादी आंदोलन का सबसे बड़ा और निर्णायक मोड़ बताया जा रहा है, जिससे संगठन की रणनीतिक और वैचारिक नींव हिल चुकी है।

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