भोपाल। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने राज्य में स्वावलंबी गौशालाओं के महत्व पर बल देते हुए कहा है कि यदि इन्हें व्यवस्थित ढंग से विकसित किया जाए तो यह न केवल ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती देंगी बल्कि रोजगार सृजन और जैविक खेती को भी बढ़ावा मिलेगा।
मुख्यमंत्री रविवार को भोपाल में आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार का लक्ष्य है कि गौशालाएं केवल आश्रय स्थल न होकर आर्थिक और सामाजिक दृष्टि से आत्मनिर्भर केंद्र बनें। इसके लिए सरकार विभिन्न योजनाओं के माध्यम से गौशालाओं में गोबर और गौमूत्र से जैविक खाद, बायोगैस व अन्य उत्पाद तैयार करने की दिशा में कार्य कर रही है।
डॉ. यादव ने कहा, “गाय भारतीय संस्कृति और कृषि अर्थव्यवस्था की धुरी रही है। यदि गौशालाओं को वैज्ञानिक और प्रबंधन दृष्टिकोण से चलाया जाए तो वे खेती-किसानी, डेयरी और ग्रामीण उद्योगों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं।” उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि हर जिले में मॉडल गौशालाएं विकसित की जाएं, जिन्हें देखकर अन्य संस्थाएं भी प्रेरित हों।
कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि सरकार गौशालाओं को केवल अनुदान पर निर्भर नहीं रहने देगी, बल्कि उन्हें आर्थिक रूप से स्वावलंबी बनाने की व्यवस्था करेगी। इसके लिए प्रशिक्षण, तकनीकी सहयोग और विपणन तंत्र उपलब्ध कराया जाएगा।
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि गौशालाएं गोबर गैस संयंत्र, वर्मी कम्पोस्ट खाद और पेंच्ड बोर्ड (गोबर से बने उत्पाद) जैसे प्रयोगों को बड़े पैमाने पर अपनाती हैं, तो वे राज्य की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई दिशा दे सकती हैं।
कार्यक्रम में मौजूद किसानों और गौशाला संचालकों ने भी अपनी राय रखते हुए कहा कि यदि गौशालाओं को सही संसाधन और बाजार उपलब्ध कराया जाए तो यह ग्रामीण आजीविका और पर्यावरण संरक्षण दोनों में अहम योगदान दे सकती हैं।