रुद्रप्रयाग। द्वितीय केदार भगवान मदमहेश्वर की उत्सव डोली मंगलवार को शीतकालीन गद्दीस्थल श्री ओंकारेश्वर मंदिर, उखीमठ पहुंच गई। इस दौरान रास्तेभर भक्तों ने देव निशानों और पारंपरिक वाद्य यंत्रों की मंगल धुनों के बीच डोली का भव्य स्वागत किया। डोली के पहुंचने के साथ ही शीतकालीन पूजा-अर्चना और दर्शन व्यवस्था की शुरुआत हो गई है।
गौरतलब है कि 18 नवंबर को उच्च हिमालय स्थित मदमहेश्वर मंदिर के कपाट विधिवत बंद किए गए थे। इसके बाद डोली गौंडार, रांसी और गिरिया गांवों में रात्रि विश्राम करती हुई अपने शीतकालीन प्रवास उखीमठ पहुंची। डोली के आगमन पर ओंकारेश्वर मंदिर परिसर और मार्ग को आकर्षक रूप से फूलों एवं रंग-बिरंगी सजावट से सजाया गया।
डोली पहुंचने के उपलक्ष्य में रावल भीमाशंकर लिंग ने मंगलचौंरी और ब्राह्मणखोली में विधिविधानपूर्वक पूजा-अर्चना संपन्न कर भगवान की डोली पर स्वर्ण छत्र अर्पित किया। श्रद्धालुओं और स्थानीय जनता ने पुष्प वर्षा कर धार्मिक उत्सव को चरम पर पहुंचा दिया। सेना के बैंड और पारंपरिक ढोल-दमाऊ की गूंज के बीच भक्तों ने झूमकर स्वागत किया।
इसी के साथ तीन दिवसीय मदमहेश्वर मेला भी आरंभ हो गया है। श्रद्धालुओं द्वारा भंडारे का आयोजन किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में भक्तों ने प्रसाद ग्रहण किया। ओंकारेश्वर मंदिर में अब शीतकालीन पूजाएं जारी रहेंगी और भक्तजन अगले छह माह तक यहां दर्शन-पूजन कर सकेंगे।
स्थानीय प्रशासन और मंदिर समिति के अनुसार, शीतकालीन काल में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के आगमन की अपेक्षा है। क्षेत्र में धार्मिक आस्था और पर्यटन का यह महत्वपूर्ण पर्व उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया जा रहा है।





