Wednesday, February 5, 2025

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भारतवंशी तुलसी गबार्ड राष्ट्रीय खुफिया निदेशक होंगी

अमेरिकी संसद सदस्य रह चुकीं भारतवंशी तुलसी गबार्ड अब नेशनल इंटेलिजेंस निदेशक (डीएनआई) का पद संभालेंगी। सीनेट इंटेलिजेंस कमेटी में मतदान के बाद उनकी नियुक्ति का रास्ता साफ हो गया है। द हिल की रिपोर्ट के अनुसार, गबार्ड की नियुक्ति के लिए पूर्ण सीनेट में मतदान होना बाकी है। सीनेट कमेटी में करीबी मुकाबले के दौरान तुलसी को 9-8 से जीत मिली। वोट  डेमोक्रेट और रिपब्लिकन पार्टी लाइनों के अनुसार डाले गए। रिपब्लिकन नेता और सीनेट इंटेलिजेंस कमेटी के अध्यक्ष टॉम कॉटन ने बताया कि समिति ने नेशनल इंटेलिजेंस के निदेशक बनने के लिए वोट किया। उनके नाम की पुष्टि के बाद अमेरिका को सुरक्षित रखने के लिए हम उनके साथ काम करने के लिए उत्सुक हैं। इंडियाना से निर्वाचित सीनेटर टॉड यंग ने एलान किया था कि वह गबार्ड का समर्थन करेंगे। इसे बेहद अहम स्विंग वोट माना गया। इनके अलावा सीनेटर सुसान कोलिन्स ने भी गबार्ड का समर्थन किया। इन दोनों सीनेटरों के वोट निर्णायक माने जा रहे थे। बता दें कि गबार्ड एक पूर्व आर्मी रिजर्व लेफ्टिनेंट कर्नल रही हैं। डेमोक्रेटिक खेमे से अमेरिकी कांग्रेस सदस्या रह चुकीं गबार्ड ने 2020 के राष्ट्रपति चुनाव में बतौर उम्मीदवार भी अपनी किस्मत आजमाई थी। पिछले साल ही ट्रंप का दामन थामने वाली तुलसी गबार्ड ने कई मौकों पर कहा है कि हजारों खुफिया कर्मी “डीप स्टेट” सदस्य हैं। अब इनकी जिम्मेदारी तुलसी के पास ही होगी।

बता दें कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 43 वर्षीय तुलसी गबार्ड को राष्ट्रीय खुफिया निदेशक (डीएनआई) के पद के लिए नामित किया था। सीनेट के समक्ष पेशी और कठिन सवाल-जवाब के बाद सीनेट में मतदान होता है। इसके बाद

यह भी दिलचस्प है कि भारतवंशी गबार्ड चार बार कांग्रेस की सदस्य रह चुकी हैं। उन्होंने मध्य पूर्व और अफ्रीका के युद्ध क्षेत्रों में भी अपनी सेवाएं दी हैं। वह हाल ही में डेमोक्रेट से रिपब्लिकन सदस्य बनी हैं। अक्तूबर 2022 में उन्होंने डेमोक्रेट खेमा छोड़कर निर्दलीय प्रत्याशी बनने की घोषणा की थी। राष्ट्रपति चुनाव से ठीक पहले अगस्त, 2024 में तुलसी ने ट्रंप को औपचारिक समर्थन देने का एलान किया था।

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