भारत सरकार ने उन मीडिया रिपोर्टों को पूरी तरह खारिज कर दिया है, जिनमें दावा किया गया था कि पाकिस्तान से आने वाली एक उड़ान को भारत ने अपने एयरस्पेस का उपयोग करने की अनुमति नहीं दी। विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि ऐसी खबरें तथ्यों पर आधारित नहीं हैं और वास्तविकता इससे बिल्कुल अलग है। मंत्रालय के अनुसार, भारत ने हमेशा मानवीय कारणों से आने-जाने वाली उड़ानों को प्राथमिकता दी है और आवश्यक मंजूरी समय पर प्रदान की जाती रही है।
विवाद के बीच मंत्रालय ने यह भी बताया कि श्रीलंका के लिए निर्धारित एक मानवीय उड़ान को भारत की ओर से तुरंत अनुमति दी गई थी। इस उड़ान में आवश्यक राहत सामग्री और चिकित्सा सहायता भेजी जा रही थी। अधिकारियों के अनुसार, उड़ान मार्ग से संबंधित औपचारिकताएँ पूरी होने के बाद भारत ने बेहद तेजी से अपनी स्वीकृति प्रदान की, जिससे राहत मिशन में कोई देरी नहीं हुई। यह निर्णय भारत की ‘नेबरहुड फर्स्ट’ नीति और क्षेत्रीय सहयोग की भावना को भी स्पष्ट रूप से दर्शाता है।
मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि भारत मानवीय आधार पर किसी भी देश की सहायता को लेकर हमेशा संवेदनशील और सक्रिय रहा है। उन्होंने जोर देकर कहा कि अंतरराष्ट्रीय उड़ानों से जुड़ी प्रक्रियाओं के बारे में गलत सूचनाएँ फैलाने से अनावश्यक भ्रम पैदा होता है, जबकि वास्तविकता यह है कि भारत नियमों और अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप ही निर्णय लेता है।
सरकारी सूत्रों ने यह भी संकेत दिया कि भारत ने अतीत में भी कई बार मानवीय उड़ानों के लिए अपने एयरस्पेस को उपलब्ध कराया है, चाहे वह आपदा राहत हो, चिकित्सा सहायता हो या किसी आपातकालीन मानवीय मिशन का हिस्सा। इस बार भी श्रीलंका की जरूरतों को देखते हुए तेजी से अनुमति दी गई, जिससे संकट की घड़ी में आवश्यक सामग्री समय पर पहुँच सकी।
भारत की इस स्पष्ट प्रतिक्रिया ने न सिर्फ गलत सूचनाओं का खंडन किया, बल्कि यह भी दिखाया कि मानवीय मामलों में भारत की प्रतिबद्धता अडिग है और वह पारदर्शिता तथा जिम्मेदारी के साथ अपने निर्णय लेता है।





