Tuesday, August 26, 2025

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भारत की लेजर मारक क्षमता पर चीन ने माना लोहा, दुनिया के चुनिंदा 7 देशों में शामिल हुआ भारत

भारत की लेजर मारक क्षमता ने न सिर्फ अपनी तकनीकी शक्ति का प्रदर्शन किया है, बल्कि चीन जैसे प्रतिद्वंद्वी देश को भी प्रभावित कर दिया है। शनिवार को भारत ने कम और मध्यम दूरी तक मार कर सकने वाली एकीकृत क्षमता का सफल परीक्षण किया। यह परीक्षण इंटीग्रेटेड एयर डिफेंस वीपन सिस्टम (IA-DWS) के तहत किया गया, जिसमें हाई पावर लेजर बेस्ड डायरेक्टेड एनर्जी वीपन (DEW) शामिल है।

चीन ने की भारत की सराहना

बीजिंग स्थित एयरोस्पेस नॉलेज मैगज़ीन के मुख्य संपादक और सैन्य विशेषज्ञ वांग या’नान ने चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स से बातचीत में भारत की इस सफलता को “उल्लेखनीय प्रगति” बताया। उन्होंने कहा कि भारत का यह सिस्टम दुश्मन देशों के ड्रोन, क्रूज मिसाइलें, हेलीकॉप्टर और कम ऊंचाई पर उड़ने वाले लड़ाकू विमानों को सीमित दायरे में नष्ट करने की क्षमता रखता है।

बहुस्तरीय वायु रक्षा कवच

IA-DWS पूरी तरह स्वदेशी तकनीक से विकसित बहुस्तरीय वायु रक्षा प्रणाली है। इसमें शामिल हैं –

  • सतह से हवा में मार करने वाली क्यूआरएसएएम मिसाइलें (QRSAM)
  • कम दूरी की वायु रक्षा प्रणाली वीएसएचओआरएडीएस (VSHORADS)
  • और लेजर आधारित डीईडब्ल्यू प्रणाली (Directed Energy Weapon System)

यह सिस्टम एक अत्याधुनिक सूचना नेटवर्क पर आधारित है, जो लक्ष्य से संबंधित डेटा को तुरंत संबंधित हथियारों तक पहुंचाता है। इसी कारण इसकी मारक क्षमता बेहद सटीक और प्रभावी मानी जा रही है।

चुनिंदा देशों के पास है लेजर हथियार क्षमता

वर्तमान में सिर्फ 7 देशों के पास युद्ध के लिए तैयार लेजर हथियार प्रणाली (DEW) मौजूद है। इनमें अमेरिका, रूस, चीन, यूके, जर्मनी, इजरायल और अब भारत शामिल हैं।

चीन के विशेषज्ञ वांग ने कहा, दुनिया में कुछ ही देश ऐसे हैं जिन्होंने युद्ध के लिए तैनात करने योग्य लेजर प्रणालियां विकसित की हैं।” उन्होंने चीन की अपनी LW-30 वाहन आधारित लेजर रक्षा हथियार प्रणाली का उदाहरण देते हुए बताया कि इसे ड्रोन किलर” कहा जाता है, जो प्रकाश की गति से लक्ष्य पर हमला कर सकती है।

भारत की बड़ी उपलब्धि

भारत के लिए यह सफलता रणनीतिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है। लेजर हथियार न सिर्फ तेज और सटीक हैं, बल्कि इन्हें लगातार इस्तेमाल किया जा सकता है और ये पारंपरिक हथियारों की तुलना में अधिक किफायती भी साबित होते हैं।

भारत का यह कदम स्पष्ट संकेत है कि आने वाले समय में वह न सिर्फ रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भर बनेगा, बल्कि हाई-टेक डायरेक्टेड एनर्जी वेपन टेक्नोलॉजी के मामले में विश्व की अग्रणी शक्तियों की कतार में खड़ा रहेगा।

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