नई दिल्ली: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह द्वारा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) को लेकर दिए गए एक ताजा बयान ने देश की सियासत में उबाल ला दिया है। जहाँ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इस बयान को ‘हिंदू विरोधी’ और ‘विभाजनकारी’ करार देते हुए मोर्चा खोल दिया है, वहीं कांग्रेस के दिग्गज नेता शशि थरूर और सलमान खुर्शीद खुलकर दिग्विजय सिंह के बचाव में उतर आए हैं। इस बयानबाजी ने विचारधारा की इस लड़ाई को एक नए स्तर पर पहुँचा दिया है।
क्या था दिग्विजय सिंह का विवादित बयान?
एक सार्वजनिक कार्यक्रम के दौरान दिग्विजय सिंह ने आरएसएस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए उसे समाज में कथित तौर पर वैमनस्य फैलाने वाली संस्था बताया था। उन्होंने संघ की तुलना कुछ चरमपंथी विचारधाराओं से करते हुए कहा था कि इनकी नीतियां लोकतांत्रिक मूल्यों के विपरीत हैं। दिग्विजय सिंह के इस बयान के बाद सोशल मीडिया से लेकर टीवी डिबेट्स तक में बहस छिड़ गई।
थरूर और खुर्शीद ने दी वैचारिक मजबूती
पार्टी के भीतर से दिग्विजय सिंह को मिल रहे समर्थन ने कांग्रेस के रुख को स्पष्ट कर दिया है:
- शशि थरूर का तर्क: सांसद शशि थरूर ने कहा कि दिग्विजय सिंह ने केवल उन चिंताओं को आवाज दी है जो देश के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने को लेकर अक्सर उठती रही हैं। उन्होंने इसे ‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता’ और ‘वैचारिक असहमति’ का हिस्सा बताया।
- सलमान खुर्शीद का रुख: पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद ने समर्थन करते हुए कहा कि संगठन की विचारधारा पर सवाल उठाना कोई अपराध नहीं है। उन्होंने भाजपा पर मामले को बेवजह तूल देने का आरोप लगाया।
भाजपा का करारा हमला: “यह कांग्रेस की मानसिकता है”
भाजपा ने इस मामले में कांग्रेस को आड़े हाथों लेते हुए इसे तुष्टिकरण की राजनीति बताया है।
- सांस्कृतिक अपमान: भाजपा प्रवक्ताओं का कहना है कि आरएसएस एक राष्ट्रवादी संगठन है और उस पर हमला करना भारत की सांस्कृतिक जड़ों पर हमला करने जैसा है।
- माफी की मांग: कई केंद्रीय मंत्रियों ने मांग की है कि कांग्रेस आलाकमान को इस बयान पर अपनी स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए और देश से माफी मांगनी चाहिए।
- कानूनी कार्रवाई की चेतावनी: संघ से जुड़े कुछ संगठनों ने बयान को मानहानिकारक बताते हुए कानूनी नोटिस भेजने की चेतावनी दी है।
राजनीतिक गलियारों की हलचल: जानकारों का मानना है कि आगामी विधानसभा चुनावों से पहले इस तरह की बयानबाजी ध्रुवीकरण की राजनीति को तेज कर सकती है। कांग्रेस जहाँ इसे विचारधारा की लड़ाई बना रही है, वहीं भाजपा इसे ‘राष्ट्रवाद बनाम राष्ट्रविरोधी’ विमर्श में बदलने की कोशिश कर रही है।





