ब्राजील के सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व राष्ट्रपति जायर बोल्सोनारो को नजरबंद करने का आदेश जारी किया है। यह फैसला सोमवार को (स्थानीय समयानुसार) तब लिया गया जब उन पर 2022 के चुनाव में हार के बाद तख्तापलट की साजिश रचने और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवहेलना करने के गंभीर आरोप सामने आए।
न्यायालय का आदेश और आरोपों की गंभीरता
सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश एलेक्जेंडर डी मोरेस ने अपने आदेश में कहा कि बोल्सोनारो ने अपने बेटे के सोशल मीडिया अकाउंट्स के जरिए एहतियाती उपायों का उल्लंघन किया है।
अभियोजकों का आरोप है कि पूर्व राष्ट्रपति ने एक आपराधिक संगठन का नेतृत्व किया, जिसने:
- राष्ट्रपति लुईज इनासियो लूला दा सिल्वा
- सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश एलेक्जेंडर डी मोरेस
की हत्या की साजिश,
चुनाव परिणाम पलटने का प्रयास, और
लोकतांत्रिक संस्थाओं को कमजोर करने की कोशिश की।
बोल्सोनारो के साथ 33 सहयोगियों पर भी तख्तापलट, हिंसक संगठन से जुड़ाव, लोकतंत्र खत्म करने की कोशिश और सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने जैसे आरोप लगाए गए हैं।
पूर्व उपराष्ट्रपति भी साजिश में शामिल
ब्राजील के मुख्य अभियोजक पाउलो गोनेट ने बताया कि इस कथित साजिश में बोल्सोनारो के पूर्व उपराष्ट्रपति जनरल ब्रागा नेटो की भी भूमिका रही है। यह मामला ब्राजील के लोकतांत्रिक इतिहास में सबसे बड़ी संवैधानिक चुनौती के रूप में देखा जा रहा है।
पहले ही लगाए गए थे प्रतिबंध
गौरतलब है कि पिछले महीने ही सुप्रीम कोर्ट ने बोल्सोनारो को
- इलेक्ट्रॉनिक एंकल मॉनिटर पहनने का आदेश दिया था
- और उनकी गतिविधियों पर निगरानी रखने के लिए कई शर्तें लागू की थीं
लेकिन अब इन शर्तों के उल्लंघन के चलते उन्हें नजरबंद किया गया है।
राजनीतिक परिदृश्य पर प्रभाव
इस घटनाक्रम से ब्राजील की राजनीति में हलचल मच गई है।
पूर्व राष्ट्रपति पर लगे गंभीर आरोपों ने
- लोकतंत्र की स्थिरता,
- संवैधानिक व्यवस्था की रक्षा,
- और संस्थागत स्वतंत्रता के प्रश्न को फिर चर्चा में ला दिया है।