बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) की शुरुआत के बाद अब चुनाव आयोग ने पूरे देश में SIR लागू करने का निर्णय लिया है। आयोग का कहना है कि यह कदम मतदाता सूचियों की शुद्धता, पारदर्शिता और लोकतंत्र की मूल भावना की रक्षा के लिए उठाया जा रहा है।
आयोग का आदेश और उद्देश्य
24 जून को जारी निर्देश में चुनाव आयोग ने कहा, “आयोग ने मतदाता सूचियों की अखंडता की रक्षा के लिए देशभर में विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) शुरू करने का निर्णय लिया है।” इसके तहत मृतक, फर्जी, दोहरी और स्थायी रूप से पलायन कर चुके मतदाताओं के नाम हटाने की प्रक्रिया की जाएगी।
आयोग ने स्पष्ट किया है कि देश के अन्य राज्यों में SIR का शेड्यूल उचित समय पर घोषित किया जाएगा। बिहार में इसे पहले ही लागू किया जा चुका है, जहां इस प्रक्रिया को लेकर कुछ राजनीतिक दलों ने आपत्ति दर्ज की थी।
क्या है SIR?
Special Intensive Revision (SIR) एक व्यापक प्रक्रिया है, जिसके तहत मतदाता सूची का घर-घर जाकर सत्यापन किया जाता है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि:
- मृतक व्यक्तियों के नाम सूची से हटाए जाएं
- जो लोग स्थायी रूप से स्थानांतरित हो चुके हैं, उनके नाम सूची से हटाए जाएं
- दो जगहों पर दर्ज मतदाताओं की पहचान की जाए
- फर्जी और अवैध मतदाताओं को हटाया जाए
आयोग ने क्यों दी सफाई?
कुछ राजनीतिक दलों द्वारा बिहार में SIR पर सवाल उठाए जाने के बाद आयोग ने इस प्रक्रिया के महत्व को स्पष्ट किया। आयोग ने कहा,
“भारत का संविधान भारतीय लोकतंत्र की जननी है। क्या संविधान की मूल भावना और चुनावों की निष्पक्षता को बनाए रखने के बजाय आयोग को बहकावे में आकर फर्जी वोटिंग को बढ़ावा देना चाहिए?”
आयोग का तर्क है कि यह पुनरीक्षण चुनाव की शुचिता, निष्पक्षता और पारदर्शिता बनाए रखने के लिए जरूरी है।
आगे क्या?
देशभर में SIR लागू होने के बाद सभी राज्य चुनाव अधिकारी घर-घर जाकर मतदाता सत्यापन की जिम्मेदारी निभाएंगे। इस प्रक्रिया के पूरा होने के बाद ही अंतिम मतदाता सूची प्रकाशित की जाएगी। आयोग ने यह भी स्पष्ट किया है कि कोई भी योग्य मतदाता सूची से बाहर नहीं होगा, और जिनके नाम गलती से हटाए गए हों, उन्हें पुनः जोड़ा जाएगा।