अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने बयानों से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नई बहस छेड़ दी है। पनामा और ग्रीनलैंड पर दिए उनके बयानों को लेकर वैश्विक स्तर पर विरोध दिख रहा है। ट्रंप ने पद ग्रहण करने से पहले अपने कार्यकाल के एजेंडे बताते हुए पहले अमेरिका के पास रही पनामा नहर पर फिर से नियंत्रण लेने का इरादा जाहिर किया तो वहीं ग्रीनलैंड पर कब्जे तक की बात कह दी। अब पनामा और ग्रीनलैंड की सरकारों द्वारा विरोध जताने के बाद जर्मनी के चांसलर ओलाफ शोल्ज ने ट्रंप के बयान का विरोध किया है। उन्होंने कहा कि सभी देशों को मौजूदा सीमाओं का सम्मान करना चाहिए।
जर्मनी के चांसलर ओलाफ शोल्ज ने ट्रंप के बयान का विरोध जताते हुए कहा कि एक केंद्रीय सिद्धांत है कि सीमाओं को बलपूर्वक नहीं हिलाया जाना चाहिए। यह हर देश पर लागू होता है, चाहे वह कितना भी शक्तिशाली क्यों न हो। उन्होंने कहा कि इसका पालन किया जाना चाहिए। साथ ही उन्होंने सुझाव देते हुए कहा कि अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की विस्तारवादी टिप्पणियां यूरोपीय नेताओं के बीच ‘नासमझी’ का कारण बन रही हैं।ओलाफ ने कहा कि उन्होंने बुधवार को कई यूरोपीय नेताओं और यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष से बात की। उन्होंने कहा कि सीमाओं की अनुल्लंघनीयता का सिद्धांत हर देश पर लागू होता है। चाहे वह हमारे पूर्व में हो या पश्चिम में, चाहे वह एक छोटा देश हो या बहुत शक्तिशाली राज्य हो, हर राज्य को इसका पालन करना चाहिए। हालांकि उन्होंने इस दौरान न तो ट्रंप का नाम लिया और ना ही उनके बयानों का जिक्र किया। नाटो देशों के सैन्य खर्चों को बढाने वाले ट्रंप के बयान पर भी जर्मन चांसलर ने प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि जरूरी सैन्य क्षमताओं को निर्धारित करने के लिए नाटो के भीतर एक “विनियमित प्रक्रिया” है। उन्होंने कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि हम इन सवालों पर एक साथ खड़े हों और एकजुट होकर काम करें।मंगलवार को अपने मार-ए-लागो वाले रिसॉर्ट में अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर पनामा नहर, ग्रीनलैंड पर कब्जे की बात दोहराई। उन्होंने कहा है कि वह इन दोनों क्षेत्रों पर नियंत्रण करने के लिए सैन्य बल का इस्तेमाल करने से इनकार नहीं करेंगे। उन्होंने बताया कि इन दोनों क्षेत्रों पर अमेरिकी नियंत्रण राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि पनामा नहर का संचालन चीन द्वारा किया जा रहा है, जबकि हमने नहर को पनामा को दिया था। उन्होंने इसका दुरुपयोग किया है।
यह पहली बार नहीं है जब ट्रंप ने ग्रीनलैंड में इस तरह दिलचस्पी दिखाई है। वे इससे पहले 2019 में भी ग्रीनलैंड को खरीदने की बात कह चुके हैं। हालांकि, तब उनके बयानों को ज्यादा तवज्जो नहीं दी गई थी।