कनखल के शिव ज्योतिर्थों में सावन की भक्ति चरम पर, श्रद्धालुओं ने किया जलाभिषेक
सावन के पावन सोमवार पर आज उत्तराखंड के शिवालयों में गंगा-जल और श्रद्धा की धार एक साथ बह रही है।
भारी बारिश के बीच भी महादेव के भक्त सुबह से ही लंबी कतारों में खड़े होकर जलाभिषेक कर रहे हैं।
‘हर-हर महादेव’ के जयघोष से हवा भी शिवमय हो उठी।
पौराणिक नगरी कनखल बनी शिवभक्ति का केंद्र
हरिद्वार स्थित कनखल, जिसे ब्रह्मा पुत्र दक्ष की राजधानी और मायापुरी की मूलधारा माना जाता है, आज फिर सावन में आस्था के ज्वार से सराबोर है।
🕉️ यह वही भूमि है, जहां दक्ष ने यज्ञ रचा, भगवती सती ने अपनी देह होम की, और शिव ने क्रोधित होकर तांडव किया।
यही वो धरती है, जहाँ—
- ब्रह्मा, विष्णु, नारद और इंद्र जैसे देवता उपस्थित रहे,
- 84,000 ऋषियों ने अरणी मंथन से यज्ञाग्नि उत्पन्न की,
- और शिव ने सती से वचन निभाते हुए ‘दक्षेश्वर’ के रूप में अवतरण किया।
सावन में शिव और शक्ति के 10 ज्योतिर्थ जाग्रत होते हैं
🔱 कनखल और मायापुरी में स्थित हैं शक्ति के 5 ज्योतिर्थ:
शीतला मंदिर, सतीकुंड, माया देवी, चंडी देवी, और मनसा देवी।
इनका केंद्र है मायादेवी का पाताल स्थित गर्भगृह।
🌌 वहीं शिव के 5 ज्योतिर्थ हैं:
दक्षेश्वर, बिल्वकेश्वर, नीलेश्वर, वीरभद्र और नीलकंठ — जिनका केंद्र ऊँचे कैलाश रूपी आकाश में है।
📿 कांवड़ यात्रा में निकले शिवभक्त मानते हैं कि इन दसों तीर्थस्थलों की कृपा से ही उनकी यात्रा सकुशल पूर्ण होती है।