बांग्लादेश की यूनूस सरकार ने जुलाई में हुए छात्र विद्रोह पर घोषणापत्र जारी करने का फैसला किया है। यह कदम छात्रों के संगठन द एंटी डिस्क्रिमेशन स्टूडेंट्स मूवमेंट की एक दिन पहले हुई उस घोषणा के बाद आया है, जिसमें उन्होंने 1972 के संविधान पर सवाल उठाते हुए घोषणा पत्र जारी करने का फैसला किया था। छात्रों के नेतृत्व में हुए आंदोलन के उग्र रूप लेने के बाद ही 5 अगस्त को देश में तख्तापलट हुआ था और तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना को भारत में शरण लेनी पड़ी थी। अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार के प्रेस सेक्रेटरी शफीकुल आलम ने सोमवार देर रात प्रेसवार्ता की। मुहम्मद यूनुस के आधिकारिक निवास के बाहर उन्होंने बताया कि, जुलाई विद्रोह घोषणापत्र का मसौदा तैयार किया जा रहा है, कुछ ही दिनों में यह जनता के सामने होगा। घोषणापत्र विद्रोह में शामिल छात्रों, राजनीतिक पार्टियों, सहयोगी दलों के सुझावों पर तैयार होगा। यह निर्णय जनता की एकता, फासीवाद विरोधी भावना और राज्य के सुधार की इच्छा को सुदृढ़ करने के लिए उठाया गया है। वहीं, प्रेस सेक्रेटरी ने छात्र संगठनों की घोषणा पर इसे उनका निजी आयोजन बताया और कहा, सरकार का इससे कोई लेना-देना नहीं है। पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया की पार्टी ने छात्रों के समूहों की घोषणा पर प्रतिक्रिया दी। पार्टी की स्थायी समिति के सदस्य मिर्जा अब्बास ने कहा कि, संविधान 30 लाख लोगों के खून से लिखा गया था। अगर इसमें कुछ गलत है तो इसे संशोधित किया जा सकता है। छात्रों के वरिष्ठ होने के नाते हमें उनकी ऐसी गतिविधियों पर निराशा होती है। वे फांसीवादियों जैसा बर्ताव कर रहे हैं, क्योंकि फांसीवादी ही कहा करते थे कि, ”दफना देंगे, मार देंगे, काट देंगे।”