ढाका। बांग्लादेश में कट्टरपंथी और दक्षिणपंथी समूहों के बढ़ते प्रभाव के बीच अब भारतीय नागरिकों को वहां से निकालने की मांग तेज हो गई है। उस्मान हादी के नेतृत्व वाली राजनीतिक पार्टी ने मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार को एक कड़ा अल्टीमेटम जारी किया है। पार्टी ने मांग की है कि बांग्लादेश में काम कर रहे सभी भारतीय नागरिकों के वर्क परमिट तुरंत प्रभाव से निलंबित किए जाएं।
24 दिनों की समय सीमा और विरोध की धमकी
उस्मान हादी की पार्टी ने अपनी मांगों को लेकर यूनुस प्रशासन को 24 दिनों का समय दिया है। पार्टी के प्रवक्ताओं ने स्पष्ट किया है कि यदि निर्धारित समय के भीतर सरकार ने भारतीयों के परमिट रद्द करने की प्रक्रिया शुरू नहीं की, तो वे देशव्यापी बड़े आंदोलन और घेराबंदी करेंगे। उनका तर्क है कि इन परमिटों को निलंबित करना देश की सुरक्षा और स्थानीय युवाओं को रोजगार देने के लिए आवश्यक है।
मांगों के पीछे के प्रमुख तर्क
पार्टी ने अपनी मांगों के समर्थन में निम्नलिखित दलीलें पेश की हैं:
- सुरक्षा संबंधी चिंताएं: पार्टी का आरोप है कि बांग्लादेश के विभिन्न क्षेत्रों में काम कर रहे भारतीय नागरिक देश की संप्रभुता के लिए खतरा हो सकते हैं।
- स्थानीय रोजगार का मुद्दा: उस्मान हादी की पार्टी का दावा है कि भारतीयों के पास मौजूद नौकरियों पर बांग्लादेशी युवाओं का हक है और उन्हें प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
- राजनीतिक दबाव: यह मांग ऐसे समय में आई है जब भारत और बांग्लादेश के बीच राजनयिक संबंधों में पिछले कुछ महीनों से तनाव देखा जा रहा है।
भारतीय प्रवासियों में बढ़ता डर
इस अल्टीमेटम के बाद बांग्लादेश में रह रहे हजारों भारतीय पेशेवर और श्रमिक डरे हुए हैं। इनमें से कई भारतीय गारमेंट सेक्टर, आईटी, और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में उच्च पदों पर कार्यरत हैं। जानकारों का मानना है कि यदि सरकार ऐसे किसी दबाव में आती है, तो इससे न केवल द्विपक्षीय संबंधों पर असर पड़ेगा, बल्कि बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था को भी भारी नुकसान हो सकता है क्योंकि भारतीय विशेषज्ञ कई महत्वपूर्ण उद्योगों की रीढ़ हैं।
यूनुस प्रशासन की चुप्पी और अंतरराष्ट्रीय चिंता
फिलहाल, मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार ने इस अल्टीमेटम पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है। हालांकि, मानवाधिकार संगठनों और अंतरराष्ट्रीय विश्लेषकों ने चेतावनी दी है कि एक विशेष राष्ट्रीयता के खिलाफ इस तरह की मुहिम देश में अराजकता पैदा कर सकती है और विदेशी निवेश को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकती है।





