ढाका/नई दिल्ली। बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन के बाद से जारी अराजकता थमने का नाम नहीं ले रही है। अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर धर्मनिरपेक्षता (Secularism) और कानून व्यवस्था (Law and Order) बनाए रखने की बार-बार मिल रही नसीहतों के बावजूद जमीनी हालात बदतर होते जा रहे हैं। ताजा मामले में, उपद्रवियों की भीड़ ने एक और हिंदू व्यक्ति की पीट-पीटकर हत्या (लिंचिंग) कर दी है। यह घटना तब हुई है जब दुनिया भर के मानवाधिकार संगठन और पड़ोसी देश भारत लगातार अल्पसंख्यकों की सुरक्षा पर चिंता जता रहे हैं।
घटना का विवरण: भीड़ का तांडव
प्राप्त जानकारी के अनुसार, यह हृदयविदारक घटना बांग्लादेश के एक ग्रामीण इलाके में घटित हुई। स्थानीय सूत्रों के मुताबिक, मृतक पर निराधार आरोप लगाकर भीड़ ने उन्हें निशाना बनाया।
- निर्मम पिटाई: उत्तेजित भीड़ ने व्यक्ति को घेर लिया और घंटों तक लाठी-डंडों से प्रहार किया। पुलिस और सुरक्षा बल मौके पर तब पहुंचे जब पीड़ित दम तोड़ चुका था।
- अल्पसंख्यकों में खौफ: इस हत्या के बाद आसपास के हिंदू परिवारों में भारी दहशत व्याप्त है। कई परिवारों ने सुरक्षा के डर से अपने घरों में ताला लगा दिया है।
रहमान की नसीहत और यूनुस की विफलता
हाल ही में अंतरराष्ट्रीय मंचों और विभिन्न राजनीतिक विश्लेषकों (जिनमें रहमान जैसे बुद्धिजीवी शामिल हैं) ने मोहम्मद यूनुस को आगाह किया था कि यदि देश में कानून का शासन बहाल नहीं हुआ, तो बांग्लादेश की छवि एक ‘कट्टरपंथी राष्ट्र’ के रूप में बन जाएगी।
- खोखले दावे: मोहम्मद यूनुस ने बार-बार कहा था कि अल्पसंख्यकों की सुरक्षा उनकी प्राथमिकता है, लेकिन लगातार हो रही हत्याएं इन दावों की पोल खोल रही हैं।
- कानून व्यवस्था ध्वस्त: पुलिस बल की निष्क्रियता और उपद्रवियों को मिल रहे कथित राजनीतिक संरक्षण के कारण ‘लिंचिंग’ जैसी घटनाएं आम होती जा रही हैं।
अंतरराष्ट्रीय दबाव और भारत की चिंता
भारत सरकार ने कई बार स्पष्ट किया है कि बांग्लादेश में हिंदू समुदाय और उनके मंदिरों पर हो रहे हमले बर्दाश्त करने योग्य नहीं हैं।
- धर्मनिरपेक्षता पर सवाल: जानकारों का मानना है कि यदि यूनुस सरकार ने कट्टरपंथियों पर लगाम नहीं कसी, तो बांग्लादेश का धर्मनिरपेक्ष ढांचा पूरी तरह नष्ट हो जाएगा।
- मानवाधिकार उल्लंघन: वैश्विक मानवाधिकार संगठनों ने इस लिंचिंग की निंदा करते हुए दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।
असुरक्षित महसूस कर रहे हिंदू
बांग्लादेश के विभिन्न हिस्सों से लगातार आ रही हिंसा की खबरें यह दर्शाती हैं कि वहां के प्रशासनिक तंत्र पर कट्टरपंथी तत्वों का प्रभाव बढ़ गया है। ढाका से लेकर चटगांव तक, हिंदू समुदाय अपनी जान और माल की सुरक्षा के लिए गुहार लगा रहा है, लेकिन प्रशासनिक स्तर पर केवल आश्वासन ही मिल रहे हैं।




