ऋषिकेश/श्रीनगर: उत्तराखंड की महत्वपूर्ण चारधाम यात्रा शुरू होने से पहले ऋषिकेश-बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग (NH-58) पर सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंताएं पैदा हो गई हैं। राजमार्ग के एक संवेदनशील हिस्से पर दो विशाल पहाड़ों के बीच गहरी दरार देखी गई है, जिससे भविष्य में बड़े भूस्खलन का खतरा बढ़ गया है। यह स्थिति न केवल स्थानीय यातायात बल्कि आगामी यात्रा सीजन के लिए भी एक बड़ी चुनौती बन सकती है।
कहाँ आई है दरार और क्या है खतरा?
यह दरार बदरीनाथ मार्ग पर स्थित एक प्रमुख पहाड़ी क्षेत्र में देखी गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि पिछले मानसून के दौरान हुई भारी बारिश और वर्तमान में चल रहे निर्माण कार्यों के कारण पहाड़ों की संरचना में यह बदलाव आया है।
- भूस्खलन का डर: यदि समय रहते इन दरारों का उपचार नहीं किया गया, तो बारिश या बर्फबारी के दौरान यह हिस्सा ढह सकता है, जिससे हाईवे पूरी तरह अवरुद्ध हो सकता है।
- यात्रियों की सुरक्षा: चारधाम यात्रा के दौरान इस मार्ग पर हजारों वाहनों का दबाव रहता है। ऐसी स्थिति में दरार वाले क्षेत्र से गुजरना किसी बड़े जोखिम से कम नहीं है।
चारधाम यात्रा से पहले मरम्मत की चुनौती
अगले कुछ महीनों में केदारनाथ और बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने वाले हैं। शासन और प्रशासन के सामने सबसे बड़ी प्राथमिकता यात्रा शुरू होने से पहले इस पैच को सुरक्षित बनाने की है।
- तकनीकी सर्वेक्षण: सीमा सड़क संगठन (BRO) और राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) की टीमें जल्द ही प्रभावित क्षेत्र का भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण कर सकती हैं।
- ट्रीटमेंट प्लान: इंजीनियरों के अनुसार, दरार वाले हिस्से में ‘शॉटक्रिटींग’ (Shotcreting), ‘रॉक बोल्टिंग’ या लोहे के जाल (Wire Mesh) बिछाकर पहाड़ को स्थिर करने की योजना बनाई जा सकती है।
स्थानीय लोगों और विशेषज्ञों की राय
भू-वैज्ञानिकों का कहना है कि हिमालयी क्षेत्र की चट्टानें कच्ची और संवेदनशील हैं। ऑल-वेदर रोड परियोजना के तहत पहाड़ों की कटिंग के बाद कई जगहों पर सुरक्षा दीवारें तो बनी हैं, लेकिन कुछ पुराने संवेदनशील जोन अब सक्रिय हो रहे हैं। स्थानीय लोगों ने मांग की है कि यात्रा शुरू होने की हड़बड़ी में कोई अस्थायी समाधान न किया जाए, बल्कि ठोस इंजीनियरिंग तकनीक का उपयोग हो।
प्रशासनिक सतर्कता
जिला प्रशासन ने संबंधित विभागों को निर्देश दिए हैं कि वे प्रभावित हिस्से की लगातार निगरानी करें। यदि दरार का आकार बढ़ता है, तो यातायात को वैकल्पिक मार्गों पर डायवर्ट करने या ‘सिंगल लेन’ परिचालन की योजना पर विचार किया जा सकता है।
मुख्य बिंदु:
- NH-58 पर पहाड़ों के बीच आई दरार ने बढ़ाई प्रशासन की चिंता।
- यात्रा मार्ग को सुरक्षित करने के लिए BRO और NHAI को किया गया अलर्ट।
- विशेषज्ञों ने पहाड़ की स्टेबिलिटी जांचने की दी सलाह।





