अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जिमी कार्टर का 100 साल की उम्र में निधन हो गया। वह अमेरिका के 39वें राष्ट्रपति थे। वह इस पद पर 1977 से 1981 तक रहे। हालांकि, कार्टर से जुड़ी दिलचस्प बात यह है कि जब वह राष्ट्रपति थे, तब उनके कदमों को कभी ज्यादा नहीं सराहा गया। मगर बाद में उन्हें मानवीय कार्यों के लिए नोबेल शांति पुरस्कार मिला। इतना ही नहीं, उन्हें इस्राइल और मिस्र के बीच शांति स्थापित करने का श्रेय भी दिया गया। आइए जानते हैंदिसंबर 1978 में कार्टर ने इस बात पर विश्वास जाहिर किया था कि अमेरिकी रणनीतिक निर्णयों को विदेश नीति में मानवाधिकारों के पालन के आधार पर आकार देना चाहिए। उन्होंने कहा था, ‘मानवाधिकार हमारी विदेश नीति की आत्मा है क्योंकि मानवाधिकार हमारी राष्ट्रीय पहचान की आत्मा है।’ अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति के विदेशी मामलों में कुछ उल्लेखनीय योगदान रहे। सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धि 1978 के कैंप डेविड समझौते के रूप में सामने आई। इस समझौते में कार्टर, इस्राइली प्रधानमंत्री मेनाकेम बेगिन और मिस्र के राष्ट्रपति अनवर सादात ने हस्ताक्षर किए थे। इसके तहत बेगिन ने 1967 के छह दिन युद्ध में इस्राइल द्वारा कब्जा किए गए सिनाई प्रायद्वीप को मिस्र को सौंपने का वादा किया था, जिसके बदले में मिस्र ने शांति और पूर्ण कूटनीतिक रिश्ते स्थापित किए।यह समझौता कार्टर के इस विश्वास को दिखाता है कि अमेरिकी कूटनीति से शांति स्थापित की जा सकती है और राष्ट्रपति को संघर्ष समाधान के लिए साहसिक कदम उठाने चाहिए। राष्ट्रपति कार्यकाल के बाद उनका विदेश नीति में योगदान और मानवाधिकारों के प्रति उनकी प्रतिबद्धता बढ़ी। आखिरकार 25 साल बाद उनकी मेहनत रंगव लाई। साल 2002 में उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया, जहां उनकी कोशिशों को सराहा गया। नोबेल समिति ने कहा, ‘कार्टर को शांति वार्ताओं, मानवाधिकारों के प्रचार और सामाजिक कल्याण के लिए उनके प्रयासों के लिए यह पुरस्कार दिया गया है।’