कोलकाता, संवाददाता
पश्चिम बंगाल की राजनीति एक बार फिर उबाल पर है। सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस और राज्यपाल सी.वी. आनंद बोस के बीच जारी विवाद ने गंभीर मोड़ ले लिया है। टीएमसी के वरिष्ठ सांसद कल्याण बनर्जी ने राज्यपाल के खिलाफ हेयर स्ट्रीट पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराते हुए उन पर कानून-व्यवस्था बिगाड़ने और जनता को भड़काने के आरोप लगाए हैं।
सूत्रों के अनुसार, शिकायत में राज्यपाल का पद उल्लेख किए बिना उनका पूरा नाम और पिता का नाम लिखा गया है। कल्याण बनर्जी ने मीडिया से बातचीत में कहा,
“मैंने सी.वी. आनंद बोस के खिलाफ शिकायत की है। राजभवन में रहने वाला व्यक्ति सरकार के खिलाफ लोगों को उकसाने वाली भड़काऊ टिप्पणियां कर रहा है। यह लोकतंत्र के लिए खतरनाक है।”
भाजपा को बढ़ावा देने का आरोप
सांसद कल्याण बनर्जी ने आरोप लगाया कि राज्यपाल की भाषा और गतिविधियां विपक्षी भाजपा को बढ़ावा देने वाली हैं। उन्होंने कहा कि उनकी बयानबाजी के बाद भाजपा कार्यकर्ता पुलिस पर हमले और तोड़फोड़ की घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं।
भावुक अपील करते हुए उन्होंने कहा:
“मैं चार बार से जनता का चुना सांसद हूं। उन्होंने अमित शाह के पैर पकड़कर यह पद पाया है। खेला होगा — और वे ही खेल रहे हैं।”
शिकायत में लगे गंभीर आपराधिक आरोप
टीएमसी सांसद के वकील अर्क कुमार गर्ग ने बताया कि यह शिकायत राज्यपाल के पद के नहीं, बल्कि एक व्यक्ति के खिलाफ है। उन्होंने दावा किया कि सी.वी. आनंद बोस राजभवन का इस्तेमाल “गैरकानूनी गतिविधियों” के लिए कर रहे हैं, जो राज्य की शांति व्यवस्था पर सीधा प्रहार है।
उन्होंने कहा:
“राज्यपाल की गतिविधियां राष्ट्रीय सुरक्षा के खिलाफ हैं और यह राजद्रोह के समान है। कोई भी व्यक्ति—even अगर वह उच्च पद पर हो—कानून से ऊपर नहीं।”
शिकायत में भारतीय न्याय संहिता (BNS) की कई गंभीर धाराएं लगाई गई हैं, जिनमें शामिल हैं—
- 61 – जनविद्वेष फैलाने से संबंधित
- 152, 163 – सरकार व व्यवस्था के खिलाफ भड़काने से जुड़ी
- 194 – राष्ट्रीय स्थिरता के खिलाफ कार्यवाही
- 353 – हिंसा और अशांति फैलाने की साजिश
वकील के मुताबिक शिकायत में उन सभी बयानों का विवरण शामिल किया गया है जिनमें राज्यपाल ने पुलिस पर सवाल उठाए और उसे “शिकारी” बताया था।
राज्यपाल कार्यालय की प्रतिक्रिया का इंतजार
इस घटनाक्रम ने राज्य सरकार और राजभवन के बीच संबंधों को और तनावपूर्ण बना दिया है। फिलहाल राज्यपाल या उनके कार्यालय की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि आने वाले दिनों में यह विवाद और गहरा सकता है।
पश्चिम बंगाल में शासन-प्रशासन और संवैधानिक पदों के बीच यह बढ़ती तकरार अब दिल्ली तक पहुँची नजर आ रही है।





