स्वच्छ भारत मिशन 2.0 के तहत प्रयुक्त जल प्रबंधन (यूज्ड वाटर मैनेजमेंट) के लिए केंद्र सरकार द्वारा उत्तराखंड को ₹203 करोड़ का बजट आवंटित किया गया था, लेकिन पांच वर्षों में भी राज्य सरकार एक भी परियोजना धरातल पर नहीं उतार सकी। अब स्थिति यह है कि यह राशि लौटाने की नौबत आ सकती है।
💧 क्या है प्रयुक्त जल प्रबंधन योजना?
स्वच्छ भारत मिशन 2.0 की शुरुआत वर्ष 2021 में की गई थी, जिसमें शहरी क्षेत्रों में सीवेज और अपशिष्ट जल के पुनर्चक्रण के लिए प्रयुक्त जल प्रबंधन को एक प्रमुख घटक के रूप में शामिल किया गया था। योजना के अंतर्गत ट्रीटमेंट प्लांट्स से निकलने वाले जल को सड़क धुलाई, निर्माण कार्य, बागवानी जैसे कार्यों में उपयोग करने की व्यवस्था प्रस्तावित थी।
📊 परियोजनाओं की स्थिति: डीपीआर तक ही सीमित
• पेयजल निगम के माध्यम से 8 शहरों के लिए ₹151.41 करोड़ की 6 डीपीआर तैयार की गईं।
• दावा किया गया है कि ये डीपीआर केंद्र को भेज दी गई हैं, लेकिन अभी तक कोई मंजूरी या प्रतिक्रिया नहीं मिली।
• विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) के बाद निविदा प्रक्रिया और कार्यान्वयन में कम से कम एक साल और लग सकता है।
⏳ एसबीएम 2.0 की समयसीमा खत्म होने को
• स्वच्छ भारत मिशन 2.0 की अवधि 2026 में समाप्त हो रही है।
• अब तक प्रारंभिक योजनाएं भी अमल में नहीं आ पाई हैं।
• यदि शीघ्र कार्यवाही नहीं हुई, तो केंद्र से प्राप्त ₹203 करोड़ की राशि वापस लौटानी पड़ सकती है।
❗ प्रशासनिक लापरवाही पर उठ रहे सवाल
• विशेषज्ञों और शहरी विकास से जुड़े लोगों का कहना है कि जल संकट से जूझ रहे शहरी क्षेत्रों के लिए यह योजना बेहद उपयोगी साबित हो सकती थी।
• लेकिन विभागीय सुस्ती और समन्वय की कमी ने इस महत्वपूर्ण अवसर को विफलता में बदल दिया है।